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मध्य प्रदेश में पंचायत चुनाव टलेंगे, ओबीसी आरक्षण पर कोर्ट में जल्द सुनवाई

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मध्य प्रदेश में पंचायत चुनाव पर संकट के बादल और घने होते दिखाई दे रहे हैं। ओबीसी आरक्षण के बिना चुनाव नहीं कराने का सरकार ने ऐलान तो कर दिया लेकिन सुप्रीम कोर्ट में इस मामले में जल्द सुनवाई नहीं हो पा रही है।

वहीं, अब कोरोना के नए वैरियंट ओमक्रॉन और तीसरी लहर की आशंका के चलते सरकार ने नाइट कर्फ्यू के साथ कुछ सख्त गाइड लाइन जारी कर दी है। तीसरी लहर की आशंका के चलते अब सरकार पंचायत चुनाव को टाले जाने का फैसला भी ले सकती है जिसके संकेत गृह मंत्री नरोत्तम मिश्रा ने भी दिए हैं।

पंचायत चुनाव को लेकर ओबीसी आरक्षण का मुद्दा राजनीतिक दलों के साथ सरकार के लिए गले की हड्डी बन गया है। सरकार ने विधानसभा में सर्वसम्मति से ओबीसी आरक्षण के बिना पंचायत चुनाव नहीं कराने का संकल्प तो पारित करा लिया है लेकिन सुप्रीम कोर्ट से राहत मिले बिना यह संभव नहीं है। सुप्रीम कोर्ट में सरकार ने उच्चतम न्यायालय के आदेश पर अपील कर जल्द सुनवाई का आग्रह किया था लेकिन अदालत ने तीन जनवरी की तारीख दी है। इस तरह अदालत ने सरकार की जल्द सुनवाई के आग्रह को ठुकरा दिया है।

निर्वाचन आयोग की प्रक्रिया जारी
वहीं, राज्य निर्वाचन आयोग की चुनाव प्रक्रिया चल रही है जिसमें पहले और दूसरे चरण के मतदान वाले पदों के लिए नामांकन पत्र दाखिल करने व नाम वापसी के बाद अब चुनाव प्रक्रिया आगे बढ़ गई है। जब तक सुप्रीम कोर्ट में तीन जनवरी को सुनवाई होगी तब तक तीसरे चरण के मतदान वाले पदों के लिए भी नामांकन प्रक्रिया शुरू हो जाएगी और पहले चरण के मतदान में तीन दिन ही शेष बचेंगे।

सरकार के ओबीसी आरक्षण के बिना चुनाव की कोशिशों पर संकट 

ऐसे में ओबीसी आरक्षण वाले करीब 69 हजार पदों पर अन्य पदों के साथ चुनाव कराने की सरकार की कोशिशें पूरी नहीं हो पाएंगी और सरकार के पास पंचायत चुनाव को टालने के अलावा कोई दूसरा उपाय नहीं होगा। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने भी गुरुवार की रात को प्रदेश की जनता के नाम संबोधन में नाइट कर्फ्यू के बाद कुछ और सख्त उपाय अपनाने के संकेत दिए थे। सख्त उपायों में पंचायत चुनाव को आगे बढ़ाने का फैसला भी हो सकता है।

मिश्रा ने चुनाव पर दिए संकेत

इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने भी उत्तरप्रदेश चुनावों को टालने का विचार करने का कहा है। इसके बाद गृह मंत्री नरोत्तम मिश्रा ने भी कहा कि किसी की जिंदगी से बढ़ा चुनाव नहीं है। उन्होने पुराने अनुभवनों का हवाला देते हुए कहा है कि जहां भी पंचायत चुनाव हुए हैं, वहां कोरोना के केस बढ़े हैं। इसलिए पंचायत चुनाव बढ़ना चाहिए। हालांकि मिश्रा ने इसे अपनी व्यक्तिगत राय बताई है।

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