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भारत में नवीकरणीय गैस क्रांति: ‘हरित भविष्य’ का रोडमैप

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कुछ वर्ष पूर्व कैरा ज़िला सहकारी दूध उत्पादक संघ लिमिटेड, जो ‘अमूल डेयरी’ के रूप में विख्यात है, भारत के खाद्य उद्योग में पहली ऐसी कंपनी बन गई जिसने अपने संयंत्र के अपशिष्ट से ऊर्जा का उपयोग करने के लिये पूरी तरह से स्वचालित बायो-सीएनजी (BioCNG) उत्पादन एवं बॉटलिंग प्लांट की शुरुआत की।

बनास डेयरी गुजरात में अपने बायो-सीएनजी पायलट प्रोजेक्ट के साथ सफलता का स्वाद चखने के बाद अमूल अब 230 करोड़ रुपए के निवेश के साथ बनासकांठा में ऐसे चार अन्य नए संयंत्र स्थापित करने पर विचार कर रहा है। अमूल द्वारा बायो-सीएनजी परियोजनाओं के कार्यान्वयन से एक चक्रीय अर्थव्यवस्था की ओर आदर्श बदलाव की स्थापना होगी।

बायो-सीएनजी:

  • बायो-सीएनजी (BioCNG), जिसे ‘बायोमीथेन’ के रूप में भी जाना जाता है, एक नवीकरणीय और स्वच्छ दहन परिवहन ईंधन है जो बायोगैस को प्राकृतिक गैस की गुणवत्ता में अद्यतन या अपग्रेड करने के माध्यम से उत्पादित किया जाता है। यह अनिवार्य रूप से शुद्धिकृत बायोगैस (purified biogas) है जो निम्नलिखित जैविक अपशिष्ट पदार्थों से बनाई जाती है:
    • कृषि अपशिष्ट: फसल अवशेष, भूसा, खाद
    • खाद्य अपशिष्ट: खराब भोजन, बचा हुआ अवशेष
    • सीवेज कीचड़: अपशिष्ट जल उपचार संयंत्रों से निकलने वाला ठोस अपशिष्ट

बायो-सीएनजी के क्या लाभ हैं?

  • उच्च कैलोरी मान: बायो-सीएनजी उच्च कैलोरी मान रखती है, जिसका अर्थ यह है कि यह अन्य ईंधनों की तुलना में प्रति इकाई मात्रा में अधिक ऊर्जा पैदा कर सकती है। यह इसे वाहन ईंधन, बिजली उत्पादन, हीटिंग और खाना पकाने जैसे विभिन्न अनुप्रयोगों के लिये अधिक कुशल एवं किफायती बनाता है।
    • बायो-सीएनजी तरलीकृत पेट्रोलियम गैस (LPG) को प्रतिस्थापित कर सकती है, जो अपेक्षाकृत निम्न कैलोरी मान रखती है और अधिक महँगी होती है।
  • स्वच्छ ईंधन: बायो-सीएनजी एक स्वच्छ ईंधन है, क्योंकि यह वायु प्रदूषण को नियंत्रित करने में मदद करती है। यह गैसोलीन या डीजल की तुलना में कम मात्रा में कार्बन मोनोऑक्साइड, नाइट्रोजन ऑक्साइड और पार्टिकुलेट मैटर (PM) का उत्सर्जन करती है।
    • ये प्रदूषक मानव स्वास्थ्य और पर्यावरण के लिये हानिकारक हैं, क्योंकि ये श्वसन संबंधी समस्याओं, अम्लीय वर्षा, धुँध (स्मॉग) और जलवायु परिवर्तन का कारण बनते हैं।
    • अवशेष या धुएँ का अभाव: बायो-सीएनजी कोई अवशेष या धुआँ उत्पन्न नहीं करती है, जो इसे एक गैर-प्रदूषणकारी ईंधन बनाता है। यह अपने पीछे कोई राख, टार या कार्बन संचय नहीं छोड़ती, जो इंजन को नुकसान पहुँचा सकते हैं और इसके प्रदर्शन को कम कर सकते हैं।
      • इस प्रकार बायो-सीएनजी अन्य पारंपरिक ईंधनों की तुलना में अधिक सुरक्षित एवं स्वच्छ ईंधन है।
  • किफायती/मितव्ययी: बायो-सीएनजी किफायती ईंधन है, क्योंकि इसे स्थानीय स्तर पर अपशिष्ट पदार्थों से उत्पादित किया जा सकता है।
    • इससे परिवहन और भंडारण लागत की बचत करने के साथ-साथ स्थानीय रोज़गार एवं आय के अवसर पैदा करने में मदद मिल सकती है।
    • बायो-सीएनजी ऊर्जा आयात बिल को भी कम कर सकता है, जहाँ भारत कच्चे तेल की अपनी आवश्यकता के लगभग 85% भाग का आयात करता है।
    • बायो-सीएनजी का उपयोग आवासीय और वाणिज्यिक स्तर पर रसोई ईंधन के रूप में भी किया जा सकता है, क्योंकि यह LPG की तुलना में सस्ती एवं स्वच्छ है।
  • जैव-उर्वरक: बायो-सीएनजी का उपयोग जैव-उर्वरक (Bio-Fertilizers) के उत्पादन के लिये किया जा सकता है, जिससे मृदा की गुणवत्ता और फसल की उत्पादकता में सुधार हो सकता है। जैव-उर्वरक ऐसे जैविक उर्वरक हैं जिनमें जीवाणु, कवक और शैवाल जैसे लाभकारी सूक्ष्मजीव मौजूद होते हैं, जो पोषक तत्वों की उपलब्धता और पौधों द्वारा इसके अवशोषण को संवृद्ध करते हैं।
    • बायो-सीएनजी के उत्पादन के बाद बचे हुए घोल या डाइजेस्टेट (slurry or digestate) से जैव-उर्वरक का उत्पादन किया जा सकता है।

बायो-सीएनजी के लिये सरकार का दृष्टिकोण क्या है?

  • CBG सम्मिश्रण दायित्व (CBG Blending Obligation- CBO): सरकार ने अक्टूबर 2023 में सिटी गैस वितरण (City Gas Distribution- CGD) क्षेत्र के संपीडित प्राकृतिक गैस (Compressed Natural Gas- CNG) और पाइप्ड प्राकृतिक गैस (Piped Natural Gas- PNG) खंडों में संपीडित बायो-गैस (Compressed Bio-Gas- CBG) के चरणबद्ध अनिवार्य सम्मिश्रण की घोषणा की।
    • CBO देश में संपीडित बायो-गैस के उत्पादन और उपभोग को बढ़ावा देगा।
      • प्राकृतिक गैस के साथ बायो-गैस के पाँच प्रतिशत सम्मिश्रण से एलएनजी आयात में 1.17 बिलियन अमेरिकी डॉलर की कमी आएगी।
    • CBO वित्त वर्ष 2025 तक स्वैच्छिक रहेगा और अनिवार्य सम्मिश्रण दायित्व की शुरुआत वित्त वर्ष 2026 से होगी।
      • वित्त वर्ष 2026, 2026-27 और 2027-28 के लिये CBO को कुल सीएनजी/पीएनजी उपभोग का क्रमशः 1%, 3% और 4% रखा जाएगा।
      • वर्ष 2028-29 से आगे CBO 5% होगा।
  • कार्यान्वयन:
    • इस अधिदेश के कार्यान्वयन का उत्तरदायित्व राष्ट्रीय जैव ईंधन समन्वय समिति (National Biofuels Coordination Committee- NBCC) को सौंपा गया है।
    • पेट्रोलियम एवं प्राकृतिक गैस मंत्रालय (MoPNG) CGD कंपनियों को वित्तीय एवं अन्य सहायता प्रदान करेगा।
    • CGD कंपनियाँ अपने CNG और PNG नेटवर्क में CBG के सम्मिश्रण के लिये ज़िम्मेदार होंगी।
  • उद्देश्य: CBO के मुख्य उद्देश्यों में CGD क्षेत्र में CBG की मांग को प्रोत्साहित करना, LNG के आयात को कम करना, विदेशी मुद्रा की बचत करना, चक्रीय अर्थव्यवस्था को बढ़ावा देना और शुद्ध शून्य उत्सर्जन (net zero emission) के लक्ष्य को प्राप्त करने में सहायता करना है।

CBG सम्मिश्रण दायित्व के समक्ष मौजूद प्रमुख चुनौतियाँ कौन-सी हैं?

  • फीडस्टॉक की उपलब्धता: इस चुनौती में CBG उत्पादन के लिये कच्चे माल की स्थिर एवं पर्याप्त आपूर्ति सुनिश्चित करना शामिल है जो मौसम, क्षेत्र और बाज़ार की स्थितियों के आधार पर भिन्न-भिन्न हो सकती है। फीडस्टॉक की लागत भी CBG परियोजनाओं की लाभप्रदता एवं व्यवहार्यता को प्रभावित कर सकती है।
    • सरकार ने सतत् योजना (SATAT scheme) के तहत फीडस्टॉक खरीद के लिये विभिन्न प्रोत्साहन एवं सब्सिडी की घोषणा की है, लेकिन ज़मीनी स्तर पर इसके कार्यान्वयन एवं निगरानी संबंधी समस्याएँ मौजूद हैं।
  • पर्याप्त अवसंरचना और प्रौद्योगिकी का अभाव: CBG उत्पादन के लिये आवश्यक उपकरण एवं सुविधाओं (जैसे बायोगैस डाइजेस्टर, कंप्रेसर, प्यूरीफायर इत्यादि) का विकास और तैनाती एक प्रमुख चुनौती है।
    • CBG भंडारण, परिवहन और वितरण के लिये पाइपलाइन, सिलेंडर, डिस्पेंसर आदि अवसंरचना का निर्माण एवं रखरखाव भी एक चुनौती है।
    • सरकार ने सतत योजना के तहत CBG संयंत्र स्थापित करने के लिये उद्यमियों और निवेशकों से बोलियाँ (bids) आमंत्रित की हैं, लेकिन इसमें उच्च पूंजी लागत, नियामक बाधा, तकनीकी गड़बड़ी जैसी प्रवेश एवं निकास की बाधाएँ मौजूद हैं।
  • विभिन्न हितधारकों के बीच समन्वय और सहयोग: CBG मूल्य शृंखला में शामिल विभिन्न अभिकर्ताओं—जैसे कि किसानों, उद्यमियों, निवेशकों, नियामकों, उपभोक्ताओं आदि के बीच एक अनुकूल एवं सहयोगात्मक माहौल को बढ़ावा देने में बाधा आती है।
    • इसमें हितधारकों के बीच पारदर्शिता और जवाबदेही सुनिश्चित करना भी शामिल है, जैसे कि गुणवत्ता मानकों, मूल्य निर्धारण तंत्र, संविदात्मक दायित्वों आदि का अनुपालन करना।
    • सरकार ने सम्मिश्रण अधिदेश की निगरानी एवं कार्यान्वयन के लिये एक केंद्रीय भंडार निकाय (Central Repository Body- CRB) की स्थापना की है, लेकिन हितधारकों के बीच समन्वय एवं संचार के मुद्दे उत्पन्न हो सकते हैं, जैसे कि हितों का टकराव, सूचना विषमता आदि।
  • एक व्यवहार्य विकल्प के रूप में CBG के बारे में जागरूकता और स्वीकृति: सरकार ने CBG के अंगीकरण के लिये आम लोगों और उद्योग को शिक्षित एवं प्रोत्साहित करने के लिये विभिन्न अभियान और पहलों की शुरुआत की है, जैसे कि ‘गो ग्रीन’ अभियान, CBG का लोगो जारी करना आदि। हालाँकि उपभोक्ताओं के बीच धारणा और पसंद संबंधी मुद्दे उभर सकते हैं, जैसे भरोसे की कमी, जड़ता, परिवर्तन का प्रतिरोध आदि।

सरकार द्वारा उठाए गए कदम:

  • शहरी, औद्योगिक और कृषि अपशिष्ट से बायोगैस/बायो-सीएनजी उत्पादन के लिये संयंत्र स्थापित करने हेतु केंद्रीय वित्तीय सहायता
  • बिजली और बायो-सीएनजी उत्पादन के लिये परियोजनाओं की आरंभिक स्थापना के लिये आवश्यक मशीनरी एवं घटकों के आयात के लिये सीमा शुल्क पर रियायत
  •  नगरनिकाय ठोस अपशिष्ट (Municipal Solid Wastes- MSW)) पर आधारित CBG संयंत्रों के लिये स्वच्छ भारत मिशन शहरी 2.0’ के तहत अतिरिक्त केंद्रीय सहायता
  • लाभकारी CBG खरीद मूल्य और उसे CBG खुदरा बिक्री मूल्य के साथ अनुक्रमित करना
  • ऑफटेक में सुधार के लिये CGD नेटवर्क में प्राकृतिक गैस के साथ CBG के सम्मिश्रण के लिये नीति दिशानिर्देश

CBG सम्मिश्रण दायित्व (CBO) के प्रभावी कार्यान्वयन के लिये क्या किया जाना चाहिये?

  • नीति और विनियामक ढाँचा:
    • स्पष्ट रूप से परिभाषित लक्ष्य एवं समयसीमा: CBG उत्पादन एवं मांग को प्रोत्साहित करने के लिये वृद्धिशील वृद्धि के साथ CNG एवं PNG के लिये वार्षिक सम्मिश्रण प्रतिशत पर स्पष्टता सुनिश्चित करें।
    • सुव्यवस्थित विनियम: CBG संयंत्र स्थापित करने और मंज़ूरी प्राप्त करने के लिये नियामक प्रक्रियाओं को सरल एवं द्रुत किया जाए।
    • वित्तीय प्रोत्साहन: CBG उत्पादन और अवसंरचना विकास को प्रोत्साहित करने के लिये आकर्षक सब्सिडी, टैक्स ब्रेक और फीड-इन टैरिफ लागू करें।
  • क्षमता निर्माण और अवसंरचना विकास:
    • तकनीकी सहायता: संभावित CBG उत्पादकों को प्रौद्योगिकी चयन, संयंत्र संचालन और गुणवत्ता नियंत्रण पर तकनीकी सहायता एवं प्रशिक्षण प्रदान करें।
    • वित्तीय सहायता: CBG संयंत्रों और अवसंरचना में निवेश को प्रोत्साहित करने के लिये कम ब्याज वाले ऋण और अनुदान की पेशकश करें।
    • ग्रिड एकीकरण: संपीडन और परिवहन सुविधाओं सहित मौजूदा गैस ग्रिड में CBG के प्रवेश के लिये अवसंरचना का विकास करना।
    • गुणवत्ता मानक: CNG और PNG नेटवर्क में CBG के सुरक्षित एवं कुशल उपयोग को सुनिश्चित करने के लिये सख्त गुणवत्ता मानकों को लागू करें।
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