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अयोध्या में राममंदिर का निर्माण तेज, रंगमंडप ने लिया आकार, प्राण प्रतिष्ठा की तैयारी

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अयोध्या में श्रीरामजन्म भूमि में विराजमान रामलला के दिव्य मंदिर निर्माण की गति अपने पूरे रफ्तार से चल रही है। रंगमंडप पूरी तरह से आकार लिया हुआ नजर आ रहा है। प्राण प्रतिष्ठा की तैयारी भी जारी है।

अयोध्या में राममंदिर का निर्माण तेज, रंगमंडप ने लिया आकार, प्राण प्रतिष्ठा की तैयारी

अयोध्या में श्रीरामजन्म भूमि में विराजमान रामलला के दिव्य मंदिर निर्माण की गति अपने पूरे रफ्तार से चल रही है। इस बीच श्रीरामजन्म भूमि तीर्थ क्षेत्र की ओर से मंगलवार को निर्माणाधीन मंदिर की चार तस्वीरों को सोशल मीडिया में साझा की गई हैं। यह तस्वीरें निर्माणाधीन प्रथम तल की है। एक तस्वीर में रंगमंडप पूरी तरह से आकार लिया हुआ नजर आ रहा है। रंग मंडप का काम सत्तर फीसदी से अधिक पूरा हो चुका है।

शिखर देख भक्त हो रहे उत्साहित सिंहद्वार से प्रवेश करते ही पड़ने वाले रंगमंडप का कार्य को देख रामभक्त उत्साहित हो रहे हैं। इस भव्य मंदिर में पांच शिखरों का निर्माण प्रस्तावित है। जो प्रवेश द्वार से लेकर गर्भगृह तक बढ़ते हुए क्रम है। पहले रंगमंडप और फिर नृत्य मंडप है। इसके बाद गूढ़ी मंडप और इस गूढ़ी मंडप के उत्तर-दक्षिण में कीर्तन मंडप व अंत मुख्य मंदिर का शिखर गर्भगृह के ऊपर होगा।

रंगमहल से गूढ़ी मंडप के बीच क्रमश ऊंचाई बढ़ती जाएगी। गूढ़ी मंडप के समानांतर कीर्तन मंडप के तीनों शिखरों की ऊंचाई समान होगी और मूल मंदिर का शिखर सबसे ऊंचा 161 फिट का होगा। 18 सौ करोड़ की लागत से बन रहे इस भव्य मंदिर के भूतल व प्रथम तल दिसंबर तक पूरी तरह से तैयार हो जाने की श्रीरामजन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र पहले ही घोषणा कर चुका है। भूतल लगने वाले दरवाजे भी तैयार किए जा चुके हैं। भूतल पर फिनिशिंग भी जारी है।

राम जन्मभूमि में गजशाला का भी होगा निर्माण कार्य
शास्त्रीय परम्परा से श्रीरामजन्म भूमि में विराजमान रामलला की पूजा – अर्चना गज मुख दर्शन की प्रधानता को देखते हुए श्रीरामजन्म भूमि तीर्थ क्षेत्र कर्नाटक से हाथी- हथिनी का जोड़ा लाने पर भी विचार कर रहा है। बताया जाता है कि भारत में सर्वाधिक हाथी कर्नाटक में उपलब्ध है। इसके लिए रामजन्म भूमि परिसर में गज शिला बनाने के लिए भी स्थान चिह्नित किया जाएगा। यहां यज्ञशाला के साथ गौशाला का निर्माण पहले से तय है। राम कुंज कथा मंडप के पीठाधीश्वर महंत डा. रामानंद दास महाराज का कहना है श्रीमद वाल्मीकीय रामायण के अयोध्या कांड के दूसरे अध्याय में शत्रुंजय नामक हाथी का उल्लेख है।

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