कोटा में एक और स्टूडेंट ने कर ली खुदकुशी, इस साल अब तक 20 ने दे दी जान
1 min readशिक्षा की काशी कहे जाने वाले कोटा में गुरुवार देर रात को एक और कोचिंग स्टूडेंट ने फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली। मृतक छात्र मनीष प्रजापति उत्तर प्रदेश के आजमगढ़ का रहने वाला था। JEE की कर रहा था तैयारी।
शिक्षा की काशी कहे जाने वाले कोटा में गुरुवार देर रात को एक और कोचिंग स्टूडेंट ने फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली। मृतक छात्र मनीष प्रजापति उत्तर प्रदेश के आजमगढ़ का रहने वाला था। वह कोटा में छह महीने से जेईई की कोचिंग कर रहा था। जवाहर नगर थाना इलाके के महावीर नगर फर्स्ट में हॉस्टल की पांचवी मंजिल पर रह रहा था। एक सप्ताह में ही तीन स्टूडेंट्स ने कोटा में खुदकुशी कर ली है, जबकि इस साल अब तक 20 अपनी जान दे चुके हैं।
सुसाइड के कुछ घंटे पहले पिता मिल कर गए थे बेटे से
पुलिस से मिली जानकारी में सामने आया कि गुरुवार को ही छात्र मनीष के पिता उससे मिलकर निकले थे। रात को उन्होंने हॉस्टल के केयरटेकर को कॉल करके बेटे से बात करवाने के लिए कहा था। जब केयर टेकर कमरे में पहुंचा तो छात्र ने गेट नहीं खोला। जिसके बाद हॉस्टल संचालक को इसकी जानकारी दी गई। हॉस्टल संचालक के कहने पर केयरटेकर ने रोशनदान से देखा तो छात्र फंदे से लटका हुआ था मिला। छात्र ने बेडशीट से फंदा लगाया था। इसके बाद पुलिस को सूचना दी गई। पुलिस ने दरवाजा तोड़कर छात्र के शव को बाहर निकाला गया और मोर्चरी में रखवाया है।
टेस्ट में आए थे कम नंबर
पुलिस का कहना है कि छात्र मनीष के पास से कोई सुसाइड नोट नहीं मिला है। लेकिन दोस्तों से और अन्य लोगों से जानकारी जुटाने पर सामने आए कि छात्र पढ़ाई में कमजोर चल रहा था और तैयारी को कवर नहीं कर पा रहा था। टेस्ट में भी उसके कम नंबर आ रहे थे। सामने यह भी आया है कि छात्र कोचिंग भी कम जाता था। इसी बात को लेकर उसके पिता गुस्सा हुए थे। हालांकि पिता के कोटा पहुंचने पर पूरी स्थिति भी साफ हो गई थी।
इस साल 20 ने की खुदकुशी
कोटा में हर महीने 2-3 स्टूडेंट आत्महत्या कर रेह हैं। 2023 में अगस्त के पहले सप्ताह तक कुल 20 छात्रों ने सुसाइड कर लिया है। वहीं अगस्त महीने में ही खुदकुशी के तीन मामले सामने आए हैं। खुदकुशी करने वाले अधिकतर स्टूडेंट्स की उम्र 15-20 वर्ष है। हालांकि इस महीने मनजोत नाम के छात्र की मौत को लेकर परिजन हत्या की आशंका जाता रहे हैं। लेकिन पुलिस की इन्वेस्टीगेशन में अब तक सुसाइड ही सामने आया है। ऐसे में जिला प्रशासन के लिए अब छात्रों के आत्महत्या को रोकना चैलेंज साबित हो गया है।