भारत में परिवार का मतलब महिला और पुरुष का संबंध, समलैंगिक शादी पर SC में सरकार
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समलैंगिक विवाह को मान्यता देने की मांग वाली अर्जी का केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में विरोध किया है। गे कपल की ओर से दायर अर्जी में कहा गया था कि उनकी शादी को कानून के तहत मान्यता प्रदान की जाए।
समलैंगिक विवाह को मान्यता देने की मांग वाली अर्जी का केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में विरोध किया है। गे कपल की ओर से दायर अर्जी में कहा गया था कि उनकी शादी को कानून के तहत मान्यता प्रदान की जाए। इस पर सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में एफिडेविट दाखिल किया है। सरकार ने कहा कि भारत में परिवार का मतलब महिला और पुरुष के संबंध और उनसे पैदा हुई संतानों से है। इसकी तुलना समलैंगिक संबंध और उनके साथ रहने से नहीं की जा सकती। सरकार ने कहा कि एक शादी के लिए पति के तौर पर एक पुरुष और पत्नी के तौर पर एक महिला जरूरी है और उनके बीच संबंध से पैदा हुई संतानें मिलकर परिवार कहलाते हैं।
केंद्र सरकार ने अपने हलफनामे में कहा, ‘परिवार का मामला पहचान से कहीं परे की चीज है। इसका समलैंगिक संबंधों में हुई शादी के रजिस्ट्रेशन से कोई मतलब नहीं है। समलैंगिक पार्टनर के तौर पर साथ रहने और यौन संबंध बनाने की तुलना भारतीय परिवार व्यवस्था से नहीं की जा सकती। भारत की परिवार व्यवस्था में एक पति, पत्नी और उनके बच्चों की अवधारणा है। इस परिवार का मुखिया पिता के तौर पर पुरुष होता है और मां के तौर पर महिला होती है।’ समलैंगिक संबंधों को भारत में सुप्रीम कोर्ट के एक फैसले के बाद अपराध की श्रेणी से बाहर कर दिया गया है। अदालत ने धारा 377 को हटाने का आदेश दिया था।
लेकिन अब भी समलैंगिक शादियों को भारत में मान्यता नहीं है। समलैंगिक अधिकारों की बात करने वाले संगठन अकसर ऐसी शादियों को मान्यता देने की मांग भी करते रहे हैं। सरकार ने अपने हलफनामें स्पष्ट किया, ‘यह सही है कि आर्टिकल 19 के तहत सभी नागरिकों को अधिकार है कि वे किसी से भी अपना जुड़ाव रखे। लेकिन इसके साथ ही यह जरूरी नहीं है कि ऐसे रिश्तों को सरकार की ओर से मान्यता दी ही जाए।’ गौरतलब है कि सुप्रीम कोर्ट में दाखिल कई याचिकाओं में मांग की गई थी कि अपनी पसंद से किसी से शादी करने के अधिकार को एलजीबीटी समुदाय के लिए भी मान्यता दी जाए।
चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ और जस्टिस पीएस नरसिम्हा और जेबी पारदीवाला की बेंच ने इससे समलैंगिक संबंधों को मान्यता की मांग वाली सभी याचिकाओं को अपनी बेंच में सुनवाई का फैसला लिया था। सरकार ने यह भी कहा कि समलैंगिक शादी को मान्यता दी जाएगी तो फिर घरेलू हिंसा जैसे मामलों से निपटने के लिए बने कानून कैसे लागू होंगे, यह भी विचार करना जरूरी है।