दरवाजा बंद करने पर भी नहीं चलेगा काम, वॉट्सऐप पर आएगा समन; कोर्ट ने दिया है आदेश
1 min readमध्य प्रदेश हाई कोर्ट ने राज्य के पुलिस महानिदेशक (डीजीपी) और अभियोजन निदेशक को गंभीरता से इस बात पर विचार करने को कहा है कि हर आपराधिक केस का एक वॉट्सऐप ग्रुप बना लिया जाए ताकि ट्रायल जल्दी हो।
मध्य प्रदेश हाई कोर्ट ने राज्य के पुलिस महानिदेशक (डीजीपी) और अभियोजन निदेशक को गंभीरता से इस बात पर विचार करने को कहा है कि हर आपराधिक केस का एक वॉट्सऐप ग्रुप बना लिया जाए ताकि गवाहों की ट्रायल कोर्ट में मौजूदगी सुनिश्चित हो। पिछले सप्ताह दिए आदेश में जस्टिस आनंद पाठक ने इस विषय पर वर्कशॉप कराने और विशेषज्ञों से सलाह लेने को भी कहा।
बार एंड बेंच की एक रिपोर्ट के मुताबिक, कोर्ट ने आदेश में कहा, ‘कोर्ट का आग्रहपूर्वक कहना है कि पुलिस महानिदेशक और अभियोजन निदेशक गंभीरता से एक वर्कशॉप कराएं और पुलिस अधिकारियों और दूसरे विशेषज्ञों से वॉट्सऐप ग्रुप बनाने पर सलाह लें। गवाहों को बुलाने और उनकी सुक्षा के लिए इसका दोहरा इस्तेमाल हो सकता है।’ कोर्ट ने पिछले साल सितंबर में दिए अपने सलाह को दोहराते हुए आदेश पारित किया। पिछले साल कोर्ट ने सभी पुलिस थानों को वॉट्सऐप ग्रुप बनाने की सलाह दी थी जिसमें शिकायतकर्ताओं, गवाहों, सरकारी वकील और अन्य अधिकारियों को सदस्य बनाया जाए जिससे तेजी से ट्रायल हो सके।
कोर्ट का मानना है कि वॉट्सऐप ग्रुप बनाने से गवाहों को समय से उनकी कोर्ट में पेशी की सूचना दी जा सकती है। कोर्ट ने सलाह दी कि पारंपरिक तरीके से तलब किए जाने के अलावा कोर्ट क्लर्क या मुंशी वॉट्ऐप ग्रुप पर भी समन कर सकते हैं। कोर्ट ने अब अपने पुरानी सिफारिशों को दोहराया है। कोर्ट ने 21 सितंबर के आदेश में कहा, ‘कोर्ट उम्मीद करता है कि इन अधिकारियों ने वॉट्सऐप ग्रुप बनाने पर विचार किया होगा, जिसकी सलाह दी गई थी।’ कोर्ट ने कहा कि जब ट्रायल पूरा हो जाएगा तो ग्रुप को डिलीट किया जा सकता है।
कोर्ट ने एक मर्डर केस की सुनवाई करते हुए निर्देश दिए थे। गवाहों की पेशी नहीं होने की वजह से केस का ट्रायल लंबा हो गया था। कोर्ट ने कहा, ‘साढ़े चार साल बीत गए हैं, लेकिन ट्रायल पूरा नहीं हुआ है। जस्टिस पाठक ने कहा कि जब गवाह ट्रायल कोर्ट नहीं पहुंचते हैं तो केस प्रभावित होता है। कोर्ट ने कहा कि कई बार गवाह तक समन नहीं पहुंचता है और पुलिस भी इसे कम महत्वपूर्ण काम समझती है। मामले की अगली सुनवाई नवंबर में होगी।
मध्य प्रदेश हाई कोर्ट ने राज्य के पुलिस महानिदेशक (डीजीपी) और अभियोजन निदेशक को गंभीरता से इस बात पर विचार करने को कहा है कि हर आपराधिक केस का एक वॉट्सऐप ग्रुप बना लिया जाए ताकि ट्रायल जल्दी हो।
मध्य प्रदेश हाई कोर्ट ने राज्य के पुलिस महानिदेशक (डीजीपी) और अभियोजन निदेशक को गंभीरता से इस बात पर विचार करने को कहा है कि हर आपराधिक केस का एक वॉट्सऐप ग्रुप बना लिया जाए ताकि गवाहों की ट्रायल कोर्ट में मौजूदगी सुनिश्चित हो। पिछले सप्ताह दिए आदेश में जस्टिस आनंद पाठक ने इस विषय पर वर्कशॉप कराने और विशेषज्ञों से सलाह लेने को भी कहा।
बार एंड बेंच की एक रिपोर्ट के मुताबिक, कोर्ट ने आदेश में कहा, ‘कोर्ट का आग्रहपूर्वक कहना है कि पुलिस महानिदेशक और अभियोजन निदेशक गंभीरता से एक वर्कशॉप कराएं और पुलिस अधिकारियों और दूसरे विशेषज्ञों से वॉट्सऐप ग्रुप बनाने पर सलाह लें। गवाहों को बुलाने और उनकी सुक्षा के लिए इसका दोहरा इस्तेमाल हो सकता है।’ कोर्ट ने पिछले साल सितंबर में दिए अपने सलाह को दोहराते हुए आदेश पारित किया। पिछले साल कोर्ट ने सभी पुलिस थानों को वॉट्सऐप ग्रुप बनाने की सलाह दी थी जिसमें शिकायतकर्ताओं, गवाहों, सरकारी वकील और अन्य अधिकारियों को सदस्य बनाया जाए जिससे तेजी से ट्रायल हो सके।
कोर्ट का मानना है कि वॉट्सऐप ग्रुप बनाने से गवाहों को समय से उनकी कोर्ट में पेशी की सूचना दी जा सकती है। कोर्ट ने सलाह दी कि पारंपरिक तरीके से तलब किए जाने के अलावा कोर्ट क्लर्क या मुंशी वॉट्ऐप ग्रुप पर भी समन कर सकते हैं। कोर्ट ने अब अपने पुरानी सिफारिशों को दोहराया है। कोर्ट ने 21 सितंबर के आदेश में कहा, ‘कोर्ट उम्मीद करता है कि इन अधिकारियों ने वॉट्सऐप ग्रुप बनाने पर विचार किया होगा, जिसकी सलाह दी गई थी।’ कोर्ट ने कहा कि जब ट्रायल पूरा हो जाएगा तो ग्रुप को डिलीट किया जा सकता है।
कोर्ट ने एक मर्डर केस की सुनवाई करते हुए निर्देश दिए थे। गवाहों की पेशी नहीं होने की वजह से केस का ट्रायल लंबा हो गया था। कोर्ट ने कहा, ‘साढ़े चार साल बीत गए हैं, लेकिन ट्रायल पूरा नहीं हुआ है। जस्टिस पाठक ने कहा कि जब गवाह ट्रायल कोर्ट नहीं पहुंचते हैं तो केस प्रभावित होता है। कोर्ट ने कहा कि कई बार गवाह तक समन नहीं पहुंचता है और पुलिस भी इसे कम महत्वपूर्ण काम समझती है। मामले की अगली सुनवाई नवंबर में होगी।