मिल्कीपुर में कमल खिलाने वाले चंद्रभानु पासवान कौन हैं? 65 हजार से ज्यादा वोटों से जीतकर पहुंचे विधानसभा
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अयोध्या के मिल्कीपुर विधानसभा उपचुनाव में भाजपा प्रत्याशी चंद्रभानु पासवान ने समाजवादी पार्टी के अजीत प्रसाद को 61 हजार से अधिक मतों से हराकर बड़ी जीत दर्ज की। यह जीत भाजपा के लिए बेहद महत्वपूर्ण रही, क्योंकि मिल्कीपुर विधानसभा क्षेत्र समाजवादी पार्टी का गढ़ माना जाता है। 1991 से अब तक सपा ने यहां छह बार जीत हासिल की है, जबकि भाजपा को सिर्फ दो बार ही सफलता मिली थी। इसके अलावा, बसपा के दो विधायक भी इस सीट से निर्वाचित हो चुके हैं। लोकसभा चुनाव में अयोध्या सीट पर करारी हार के बाद भाजपा के लिए यह उपचुनाव प्रतिष्ठा का प्रश्न बन गया था, जिसे चंद्रभानु पासवान ने बचा लिया।
चंद्रभानु पासवान की जन्म 3 अप्रैल 1986 में परसौली गांव का है। चंद्रभानु ने बी.कॉम और एलएलबी की पढ़ाई की। इसके बाद वह राजनीति में उतर आए। चंद्रभानु ने रुदौली से 2 बार जिला पंचायत सदस्य का चुनाव जीता। फिलहाल उनकी पत्नी पंचयात सदस्य हैं। चंद्रभानु पासवान के पिता रामलखन पासवान 2021 में चौथी बार ग्राम प्रधान निर्वाचित हुए हैं। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक चंद्रभानु का परिवार बिजनेस से जुड़ा हुआ है। रुदौली के अलावा सूरत में भी साड़ियों का कारोबार है। चंद्रभानु पासवान कोविड महामारी के दौरान जरूरतमदों को राशन, भोजन और सैनेटाइजर उपलब्ध कराए यहां तक कि मजदूरों को घर भिजवाने के लिए गाड़ियों की भी व्यवस्था की थी।
ये झुठी जीत है, बोले अखिलेश यादव
मिल्कीपुर चुनाव में मिली हार के बाद अखिलेश यादव ने इसे भाजपा की झुठी जीत बताई है। उन्होंने एक्स पर पोस्ट करते हुए लिखा, “पीडीए की बढ़ती शक्ति का सामना भाजपा वोट के बल पर नहीं कर सकती है, इसीलिए वो चुनावी तंत्र का दुरुपयोग करके जीतने की कोशिश करती है। ऐसी चुनावी धांधली करने के लिए जिस स्तर पर अधिकारियों की हेराफेरी करनी होती है, वो 1 विधानसभा में तो भले किसी तरह संभव है, लेकिन 403 विधानसभाओं में ये ‘चार सौ बीसी’ नहीं चलेगी। इस बात को भाजपावाले भी जानते हैं, इसीलिए भाजपाइयों ने मिल्कीपुर का उपचुनाव टाला था। पीडीए मतलब 90% जनता ने ख़ुद अपनी आँखों से ये धांधली देखी है। ”