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फिर होगा अन्ना आंदोलन! हजारे ने दिल्ली में अनशन की कही बात, इस बार क्या मुद्दा

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समाजसेवी अन्ना हजारे ने शनिवार को घोषणा की कि वह एक बार फिर दिल्ली में आंदोलन कर सकते हैं। 2011 में 18 दिन तक दिल्ली में अनशन कर चुके अन्ना ने खुद इसका ऐलान किया और मुद्दा भी बताया।

फिर होगा अन्ना आंदोलन! हजारे ने दिल्ली में अनशन की कही बात, इस बार क्या मुद्दा

समाजसेवी अन्ना हजारे ने शनिवार को घोषणा की कि वह एक बार फिर दिल्ली में आंदोलन कर सकते हैं। एक दशक पहले दिल्ली में व्यापक स्तर पर भ्रष्टाचार विरोधी आंदोलन चलाने वाले अन्ना हजारे इस बार राजस्थान के लोगों को पानी दिलाने के लिए अनशन कर सकते हैं। राजस्थान में शनिवार को खुद अन्ना ने कहा कि ईस्टर्न राजस्थान कनाल प्रॉजेक्ट (ईआरसीपी) को राष्ट्रीय दर्जा दिलाने के लिए वह एक और आंदोलन शुरू कर सकते हैं। यह प्रॉजेक्ट पिछले 5 सालों से लंबित है।

ईआरसीपी किसान संघर्ष समिति नेता रामनिवास की ओर से करौली के टोडाभीम में आयोजित रैली को संबोधित करते हुए हजारे ने कहा, ’22 जिलों के लोगों से बात करने के बाद मैंने पाया कि ईआरसीपी राज्य के लिए बहुत अहम प्रॉजेक्ट है। यदि प्रॉजेक्ट को जल्दी पूरा करने की मांग सरकार नहीं सुनती है तो हमें दूसरे रास्ते अपनाने पड़ेंगे।’

यूपीए सरकार के दौरान हुए भ्रष्टाचार के मामलों को लेकर 2011 में दिल्ली के रामलीला मैदान में 18 दिन तक किए अनशन की ओर इशारा करते हुए समाजिक कार्यकर्ता ने कहा, ‘जरूरत पड़ी तो इन 22 जिलों के लोगों के साथ मैं फिर वैसा आंदोलन करने के लिए तैयार हूं। मैं वहां आप लोगों से दो कदम आगे रहूंगा।’

ईआरसीपी 40 हजार करोड़ रुपए की महत्वाकांक्षी योजना है जिससे राजस्थान के बड़े इलाके में सिंचाई और पीने के लिए पानी की उपलब्धता होगी। राजस्थान के 13 जिलों झालावार, बारन, कोटा, बूंदी, सवाई माधोपुर, करौली, धौलपुर, भरतपुर, दौसा, अलवर, जयपुर और अजमेर में 2.8 लाख हेक्टेयर भूमि पर सिंचाई आसान होगी। ईआरसीपी को राष्ट्रीय दर्जा मिलने से केंद्र और राज्य के बीच लागत का बंटवारा 90:10 हो जाएगा। इसका मतलब है कि केंद्र सरकार को 90 फीसदी खर्च देना होगा और राज्य सरकार 10 फीसदी। राज्य सरकार का अनुमान है कि इससे प्रॉजेक्ट 10 साल में पूरा हो सकता है और 40 फीसदी लोगों के लिए पीने के पानी की समस्या दूर हो जाएगी।

हालांकि, कांग्रेस शासित राज्य और बीजेपी की अगुआई वाली केंद्र सरकार के बीच पिछले कुछ समय में इस मुद्दे पर टकराव रहा है। केंद्र सरकार ने इसे राष्ट्रीय दर्जा नहीं दिया है।  2017 में राज्य सरकार ने डिटेल रिपोर्ट देते हुए केंद्र सरकार से इसकी मांग की थी। हालांकि, फरवरी में केंद्र सरकार ने राज्यसभा में एक लिखित जवाब में नियमों का हवाला देते हुए बताया था कि इसे राष्ट्रीय दर्जा नहीं दिया जा सकता है। अगस्त में जल संसाधन मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत ने लोकसभा में कहा कि सरकार ने अभी तक निर्धारित प्रोफार्मा में रिपोर्ट नहीं सौंपी है, जिसकी वजह से दर्जा मिलने में देरी हो रही है। किसान संघर्ष समिति के नेता राम निवास मीणा ने कहा कि दोनों सरकारों में टकराव की वजह से 5 साल व्यर्थ चले गए हैं। उन्होंने कहा, ‘दोनों सरकारें एक दूसरे पर आरोप-प्रत्यारोप लगाते हैं और लोगों को पानी नहीं मिल रहा है। यदि उन्होंने इसे अभी पूरा नहीं किया तो दोनों सरकारों को विधानसभा और लोकसभा चुनाव में इसका नुकसान उठाना होगा।’

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