सेना के मुखबिर पर शक, चप्पे-चप्पे को जानता आतंकी उजैर खान; अनंतनाग मुठभेड़ की इनसाइड स्टोरी
1 min readसूत्रों के अनुसार, आतंकवादियों के पास हथियारों, गोला-बारूद और यहां तक कि भोजन का पर्याप्त भंडार है, जिसका प्रमाण इस तथ्य से मिलता है कि वे लगभग 90 घंटों तक टिके रहने में कामयाब रहे हैं।
जम्मू-कश्मीर के अनंतनाग में शनिवार को चौथे दिन भी आतंकवादियों से मुठभेड़ जारी रही। चुनौतीपूर्ण इलाके, घने जंगलों और खराब मौसम के कारण ऑपरेशन को अंजाम देने में सुरक्षाबलों को कठिनाई हो रही है। इसके अलावा, ये कोई आम आतंकवादी नहीं हैं बल्कि अच्छी तरह से प्रशिक्षित हैं। इस मुठभेड़ में अब तक तीन अधिकारी शहीद हो चुके हैं। मारे गए सेना के अधिकारियों में 19 राष्ट्रीय राइफल्स के कर्नल मनप्रीत सिंह और मेजर आशीष धोंचक और जम्मू-कश्मीर पुलिस के उपाधीक्षक हिमायूं भट शामिल हैं। इसके अलावा, एक सैनिक लापता है और कम से कम दो अन्य कर्मी घायल हो गए हैं।
एक गुफा में छिपे आतंकी
अनंतनाग जिले में एक तरफ जंगल, एक तरफ पहाड़ी और दूसरी तरफ गहरी खाई के बीच फंसे सुरक्षा बल के जवान मुठभेड़ में उन आतंकवादियों से जूझ रहे हैं जिनके पास हथियारों, गोला-बारूद या भोजन की कोई कमी नहीं है। सुरक्षाकर्मियों को कठिन लड़ाई का सामना करना पड़ रहा है। आतंकवादी पहाड़ी की चोटी पर एक गुफा में छिपे हुए हैं। वहां तक पहुंचने के लिए जो एकमात्र रास्ता है वह बेहद संकीर्ण है। रास्ते के एक तरफ सीधी ढलान है। एनडीटीवी ने सुरक्षा सूत्रों के हवाले से लिखा कि यह वही रास्ता था जहां कर्नल मनप्रीत सिंह, मेजर आशीष ढोंचक और पुलिस उपाधीक्षक हिमायूं भट की जान चली गई।
आतंकवादी कोकेरनाग के गाडुल जंगलों में एक पहाड़ी के ऊपर एक गुफा में छिपे हुए हैं। गुफा से उन्हें सुरक्षा मिली हुई है। वहां से आतंकवादी सेना और पुलिस टीम की संयुक्त टीम द्वारा की जा रही गतिविधियों की पूरी तरह से देख सकते हैं। गुफा की ओर जाने वाले संकरे रास्ते में कोई कवर नहीं है। ड्रोन, रॉकेट लॉन्चर और मोर्टार गोले सभी का इस्तेमाल किया गया है, लेकिन सेना अभी तक उस इलाके पर कंट्रोल हासिल नहीं कर पाई है जहां आतंकवादी छिपे हैं। अधिकारियों का कहना है कि वे जल्द से जल्द आतंकवादियों को मार गिराएंगे।
कठिन इलाका
रिपोर्ट के मुताबिक, सेना को सबसे पहले मंगलवार की रात गादुल के जंगलों में आतंकवादियों के छिपे होने की खुफिया जानकारी मिली थी और जब उन्हें पता चला कि वे एक पहाड़ी के ऊपर हैं, तो बुधवार तड़के हमला करने का निर्णय लिया गया। सूत्र ने कहा, “पहाड़ी की चोटी पर पहुंचने के लिए बलों को जो रास्ता अपनाना पड़ता है वह काफी चुनौतीपूर्ण है। यह बहुत संकरा है और एक तरफ पहाड़ और घना जंगल है और दूसरी तरफ गहरी खाई है। कर्मियों ने चढ़ाई शुरू की लेकिन रात, और अंधेरे ने इसे और भी बदतर बना दिया।” सुरक्षाबलों को आगे बढ़ता देख आतंकवादियों ने कर्मियों पर गोलीबारी शुरू कर दी। इसी हमले में तीन अधिकारी घायल हो गए। उन्हें वहां से निकालने के सीमित विकल्प थे। जिससे उन्हें सुबह तक अस्पताल नहीं ले जाया जा सका।
मुखबिर ने दिया धोखा? अच्छी तरह से प्रशिक्षित है आतंकी उजैर खान
सूत्रों के अनुसार, आतंकवादियों के पास हथियारों, गोला-बारूद और यहां तक कि भोजन का पर्याप्त भंडार है, जिसका प्रमाण इस तथ्य से मिलता है कि वे लगभग 90 घंटों तक टिके रहने में कामयाब रहे हैं। उन्होंने कहा कि आतंकवादियों की संख्या भी दो-तीन से अधिक होने की संभावना है। गुफा में छिपे आतंकवादियों में लश्कर-ए-तैयबा का हालिया भर्ती सदस्य उजैर खान भी शामिल है। माना जाता है कि वह इलाके को अच्छी तरह से जानता है और इसका फायदा आतंकियों को हो रहा है। एक सूत्र ने कहा, “साधारण आतंकवादी किसी मुठभेड़ को इतने लंबे समय तक नहीं खींच सकते। वे बहुत अच्छी तरह से प्रशिक्षित हैं और उनके पास अच्छे हथियार हैं। यह भी संभव है कि किसी मुखबिर ने सेना को धोखा दिया हो या किसी ने उनकी गतिविधियों को लीक कर दिया हो।”
शनिवार की सुबह से हो रही भारी बारिश ने विजिबिलिटी कम कर दी। इससे ड्रोन के ऑपरेशन में कठिनाई आ रही हैं। जिस गुफा में आतंकी छिपे हुए हैं, उसके पास भी आग लग गई। इस बीच सेना ने राजौरी जिले के नारला इलाके में मंगलवार से शुरू हुई दो दिवसीय मुठभेड़ में दो आतंकवादियों को मार गिराया। वहीं तीन आतंकियों को बारामूला के उरी सेक्टर में मार गिराया। बारामूला मुठभेड़ केवल पांच दिनों में आतंकवादियों के साथ सेना की तीसरी मुठभेड़ है।