Prakash veg

Latest news uttar pradesh

राजधानी में ज्येष्ठ मंगल पर होने वाले आयोजनों में लेनी होगी पुलिस की अनुमति

1 min read

जनपद में लागू धारा 144 के मद्देनजर अनुमति लेना अनिवार्य

हिंदू पंचांग के अनुसार, वैशाख मास की पूर्णिमा तिथि समाप्त होने के साथ ही ज्येष्ठ मास शुरू हो जाता है. इसे जेठ का महीना भी कहा जाता है. हिंदू कैलेंडर के अनुसार, ज्येष्ठ माह तीसरा मास होता है. वर्ष 2023 में 6 मई से प्रारंभ हो रहे ज्येष्ठ मास में ज्येष्ठ मंगल (बड़े मंगल) की तैयारियां भी लगभग पूरी कर ली गई है वहीं अगर बात करें बड़े मंगल पर होने वाले आयोजनों को लेकर राजधानी लखनऊ की कमिश्नरेट पुलिस के संयुक्त पुलिस आयुक्त कानून एवं व्यवस्था ने जनपद में   धारा 144 लागू है इस वर्ष ज्येष्ठ मंगल में आयोजकों को कार्यक्रम करने के लिए पुलिस की अनुमति लेना अनिवार्य होगा राजधानी के चारों जोन में तैनात उपायुक्तों से कार्यक्रम की अनुमति लेना अनिवार्य होगा राजधानी में कई वर्षो से ज्येष्ठ मास में पड़ने वाले मंगल पर जगह-जगह भंडारा व पूजन इत्यादि किया जाता है राजधानी में मुख्य मार्गो और सार्वजनिक स्थानों पर भी पंडाल लगाए जाते है जिससे होने वाली भीड़ से मार्ग अवरूद्ध हो जाते है जिसको लेकर पुलिस द्वारा आयोजित को किसी भी प्रकार के आयोजन की अनुमति लेना अनिवार्य किया गया है वही अनुमति लेने वाले आयोजको को अपने ( वॉलिंटियर) को यह  बताना होगा कि कार्यक्रम में आने वाली भीड़ को पंक्ति बंद करते हुए कार्यक्रम को सकुशल व बिना मार्ग अवरुद्ध किए संपन्न कराया जाए  यातायात को सुगम बनाए रखने के लिए आने वाले श्रद्धालुओं के वाहनों को निर्धारित पार्किंग स्थल पर ही खड़ा किया जाए कार्यक्रम समाप्त होने के बाद स्थल की साफ-सफाई की व्यवस्था भी करनी होगी यदि आयोजक द्वारा नियम व शर्तों को पालन नहीं किया जाता  है तो उसके विरुद्ध कार्रवाई सुनिश्चित की जाएगी

*ज्येष्ठ मास का खास महत्व*

हिंदू धर्म में ज्येष्ठ मास का खास महत्व भी बताया गया है. ऐसा माना जाता है कि इसी माह धरती पर गंगा का अवतरण हुआ था. इसी के कारण इस मास, में गंगा दशहरा का पर्व मनाया जाता है. ऐसी मान्यता है कि इस दिन गंगा स्नान करने के बाद दान करना चाहिए. ऐसा करने से व्यक्ति को पापों से मुक्ति मिलती है और मोक्ष मिलता है. इस माह भगवान राम अपने परम भक्त हनुमान जी से मिले थे. धर्म शास्त्रों के अनुसार ज्येष्ठ के महीने में ही भगवान शनिदेव का जन्म भी हुआ था. ज्येष्ठ मास में हनुमान जी, वरुण और सूर्य देव की पूजा बहुत खास मानी जाती है. वरुण जल के तो सूर्य देव अग्नि के देवता है।

0Shares

Leave a Reply

Your email address will not be published.

https://slotbet.online/