शिवसेना ही नहीं, इन पार्टियों में भी चुनाव निशान को लेकर हुआ विवाद
1 min readचुनाव आयोग ने महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे के नेतृत्व वाले गुट को असली शिवसेना मानते हुए उसे पार्टी का चुनाव निशान धनुष-बाण आवंटित कर दिया। हालांकि, चुनाव आयोग के खिलाफ ठाकरे गुट ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की है। बता दें, भारतीय राजनीति में यह पहला मौका नहीं हैं, जब किसी पार्टी में इस तरह का विवाद सामने आया है, पहले भी ऐसे मामले सामने आते रहे हैं। आइए जानते हैं…
समाजवादी पार्टी
समाजवादी पार्टी में भी जनवरी 2017 में चुनाव चिह्न को लेकर विवाद हुआ। उस समय सत्तारूढ़ सपा में गुटबाजी चुनाव आयोग तक पहुंच गई थी। पार्टी के संस्थापक मुलायम सिंह यादव ने खुद को अपने बेटे अखिलेश यादव के नेतृत्व वाले गुट की तरफ से अध्यक्ष पद से हटाए जाने के बाद पार्टी के सिंबल पर अपना दावा ठोंका था। हालांकि, बाद में चुनाव आयोग ने अखिलेश यादव के गुट वाली पार्टी को ही असली सपा माना और उसे साइकिल चुनाव निशान आवंटित किया।
आयोग ने पाया कि अखिलेश के गुट ने 228 विधायकों में से 205, 68 एमएलसी में से 56, 24 सांसदों में से 15, राष्ट्रीय कार्यकारिणी के 46 सदस्यों में से 28 और राष्ट्रीय सम्मेलन के 5731 प्रतिनिधियों में से 4400 के हलफनामे दायर किए थे, जो कुल 5731 प्रतिनिधियों में से 4716 के लिए जिम्मेदार है। इस मामले में मुलायम सिंह यादव के पक्ष की ओर से कोई दावा पेश नहीं किया गया था।
AIADMK
5 दिसंबर, 2016 को तमिलनाडु की पूर्व मुख्यमंत्री जयललिता की मौत के बाद ओ पन्नीरसेल्वम, जिन्हें ओपीएस के नाम से जाना जाता है, मुख्यमंत्री बने, लेकिन उन्हें फरवरी 2017 में भ्रष्टाचार के आरोप में गिरफ्तार कर लिया गया। इसके बाद जया की सहयोगी शशिकला ने ईपीएस के रूप में जाने जाने वाले एप्पादी के पलानीसामी को मुख्यमंत्री बनाया। अगस्त 2017 में ईपीएस और ओपीएस एक साथ आए और शशिकला और उनके सहयोगी दिनाकरण को अन्नाद्रमुक से निष्कासित कर दिया।