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श्रीलंकाई केंद्रीय बैंक के प्रमुख की चेतावनी से बढ़ी चिंता

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श्रीलंका के केंद्रीय बैंक के प्रमुख ने 11 मई को चेतावनी दी कि अगर देश में राजनीतिक स्थिरता तत्काल बहाल नहीं की जाती है और संकट में फंसे श्रीलंका को चलाने के लिए नई सरकार नियुक्त नहीं की जाती है तो अर्थव्यवस्था “पूरी तरह ध्वस्त” हो जाएगी.

महिंदा राजपक्षे

कोलंबो में मीडिया से बात करते हुए श्रीलंका के केंद्रीय बैंक के प्रमुख नंदलाल वीरसिंघे ने कहा, “अगर अगले दो दिनों में सरकार नहीं बनती है तो अर्थव्यवस्था पूरी तरह धराशायी हो जाएगी और इसे कोई बचा नहीं पाएगा.” नंदलाल वीरसिंघे एक महीने पहले ही केंद्रीय बैंक के प्रमुख बनाए गए हैं.

बदतर हालात

वीरसिंघे की टिप्पणी श्रीलंका की अर्थव्यवस्था की विकट स्थिति को दिखाती है. बीते दो सालों से क़र्ज़ भुगतान को अनदेखा करने की वजह से डॉलर के भंडार में हुई कमी के कारण देश की अर्थव्यवस्था अब चरमरा गई है. देश में इस सप्ताह हिंसक झड़पें भी हुईं. ये झड़पें पूर्व प्रधानमंत्री महिंदा राजपक्षे के समर्थकों के शांतिपूर्वक प्रदर्शन कर रहे लोगों पर हमले के बाद शुरू हुई थी.

साथ ही महिंदा राजपक्षे ने प्रधानमंत्री पद से भी इस्तीफ़ा दे दिया और संविधान के अनुसार अब कैबिनेट भी भंग हो चुकी है. अब सिर्फ़ राष्ट्रपति गोटाबाया राजपक्षे अपने पद पर बने हुए हैं और कोई भी विपक्षी पार्टी उनके नेतृत्व में बिना शर्त काम करने को राज़ी नहीं है.

पार्टियां, सिविल सोसायटी ग्रुप और छात्र संगठन कुछ प्रस्ताव लेकर सामने आए हैं, जिनमें राष्ट्रपति गोटाबाया राजपक्षे का इस्तीफ़ा और कार्यकारी राष्ट्रपति पद की समाप्ति शामिल हैं.

एक तरफ़ जहाँ नेतृत्व उधेड़बुन में अटका हुआ है, वहीं दूसरी तरफ़ संकटग्रस्त नागरिक भोजन, ईंधन और रसोई गैस की कमी से जूझ रहे हैं. राजपक्षे समर्थक भीड़ के हमले और आक्रोशित नागरिकों के जवाबी हमले ने हिंसा में बढ़ोतरी की आशंका को बढ़ा दिया है.

हिंसक झड़पों में कम से कम आठ लोगों की मौत हो गई और 200 के क़रीब घायल हो गए. देशभर में व्यापक जवाबी हमलों के तहत अराजक तत्वों ने सरकारी सदस्यों से जुड़े करीब 100 से ज़्यादा इमारतों को आग के हवाले कर दिया और दर्जन भर वाहनों को भी फूंक दिया.

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