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आखिरकार झुक ही गया ड्रैगन; भारत का विरोध आया काम

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भारत के विरोध के आगे आखिरकार चीन को झुकना ही पड़ा और उसने श्रीलंका में अपने सोलर प्लांट के निर्माण कार्य को रोक दिया। चीन ने भारतीय के पड़ोसी देश श्रीलंका में हाइब्रिड एनर्जी सिस्‍टम परियोजना के निर्माण को रोक दिया है। श्रीलंकन मीडिया ने यह जानकारी दी है। बताया जा रहा है कि सोलर प्लांट सिस्‍टम को 3 उत्‍तरी द्वीपों पर बनाया जाना था, जो भारत के बेहद करीब हैं। इसका निर्माण कार्य चीनी कंपनी सिनो सोअर हाईब्रिड कर रही थी।

दरअसल, श्रीलंका में हाइब्रिड एनर्जी सिस्‍टम परियोजना के निर्माण का भारत शुरू से विरोध करता रहा है। इससे पहले इसी साल जनवरी महीने में भारत ने श्रीलंका से चीनी कंपनी सोनो सोर हाईब्रिड को उत्‍तरी द्वीपों पर सोलर पावर प्‍लांट बनाए जाने का ठेका दिए जाने को लेकर आपत्ति दर्ज कराई थी। श्रीलंका ने हाल ही में कोलंबो पोर्ट (बंदरगाह) पर ईस्‍ट कंटेनर टर्मिलन के निर्माण का ठेका चीन की कंपनी को दिया है, जबकि यह ठेका पहले भारत और जापान को दिया जाना था और श्रीलंका इसके लिए प्रतिबद्ध भी था।

कोलंबो में चीनी दूतावास ने एक ट्वीट में कहा कि श्रीलंका में उत्तरी द्वीपों में सौर ऊर्जा प्रणाली परियोजना (सोलर पावर सिस्टम प्रोजेक्ट) को एक तीसरे पक्ष द्वारा व्यक्त की गई सुरक्षा चिंताओं के कारण निलंबित कर दिया गया है। हालांकि, चीनी दूतावास ने भारत का नाम नहीं लिया, मगर उसका इशारा भारत ही था। चीनी दूतावास ने कहा कि उसी फर्म ने अब मालदीव के साथ एक अनुबंध पर हस्ताक्षर किए हैं।

चीनी दूतावास के ट्वीट में कहा गया, ‘चीनी सोअर हाइब्रिड टेक्नोलॉजी कंपनी तीसरे पक्ष से ‘सुरक्षा चिंता’ के कारण 3 उत्तरी द्वीपों में हाइब्रिड ऊर्जा प्रणाली बनाने के काम को निलंबित कर रही है। इस कंपनी ने अब मालदीव में 12 द्वीपों पर सौर ऊर्जा संयंत्र स्थापित करने के लिए 29 नवंबर को मालदीव सरकार के साथ एक अनुबंध किया है।’

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