करप्शन में सिसोदिया को जेल पर केजरीवाल जमीन पर पलट रहे खेल; क्या चला दांव?
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महज 10 साल में राष्ट्रीय दल बनने के लिए दावेदारी पेश कर चुकी पार्टी को अचानक ‘शराब घोटाले’ के आरोपों ने सवालों के घेरे में ला दिया है। केजरीवाल अब इस आपदा को अवसर में बदलना चाहते हैं।
आम आदमी पार्टी (आप) अपने सबसे बड़े गढ़ दिल्ली में ऐसे दौर से गुजर रही है, जिसकी उसने कुछ समय पहले तक शायद कल्पना भी नहीं की होगी। भ्रष्टाचार विरोधी आंदोलन की कोख से जन्मी पार्टी के दूसरे सबसे बड़े नेता को करप्शन केस में जेल जाना पड़ा है। महज 10 साल में राष्ट्रीय दल बनने के लिए दावेदारी पेश कर चुकी पार्टी को अचानक ‘शराब घोटाले’ के आरोपों ने सवालों के घेरे में ला दिया है। पहली बार उसे दिल्ली में अपने प्रतिद्वंद्वी भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के इतने आक्रामक अभियान का सामना करना पड़ रहा है। हालांकि, आप संयोजक अरविंद केजरीवाल इस ‘आपदा’ को ‘अवसर’ में बदलने की रणनीति पर काम कर रहे हैं। इसके लिए उन्होंने पूरी दिल्ली में जमीन पर अपने ‘सिपाही’ उतार दिए हैं।
जनता के बीच खुद को ‘पाक साफ’ और ‘प्रताड़ित’ साबित करके पार्टी राजनीतिक तौर पर फायदा उठाने की कोशिश में जुट गई है। पार्टी ने दिल्ली के सभी 250 वार्ड में विशेष अभियान चलाया है। इसके तहत लोगों से हस्ताक्षर लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को भेजा जाएगा। ‘आप’ के राज्य संयोजक गोपाल राय ने कहा कि 13 मार्च को शहर के सभी 250 वार्ड में कैंपेन चलाया जाएगा। इसके अलावा मोहल्ला सभा का भी आयोजन किया जा रहा है, जहां पार्टी के विधायक और जनप्रतिनिधि लोगों को इन गिरफ्तारियों की पूरी सच्चाई बताएंगे। ‘आप’ का दावा है कि पहले सत्येंद्र जैन और अब मनीष सिसोदिया को राजनीतिक वजहों से गिरफ्तार किया गया है।
एक वरिष्ठ नेता ने बताया कि सभी वार्डों से प्रतिनिधियों को पार्टी हेडक्वॉर्टर में इस प्रक्रिया को लेकर ट्रेनिंग दी गई है। पार्टी सूत्रों का कहना है कि ‘आप’ जनता से सहानुभूति जुटाने की कोशिश करेगी और यदि हर दिल्लीवासी तक यह संदेश पहुंचाया जाए कि सिसोदिया और सत्येंद्र जैन को करप्शन की वजह से नहीं बल्कि एजेसियों के दुरुपयोग से गिरफ्तार कराया गया है तो उनके विश्वास को बनाए रखा जा सकता है। कैंपेन के जरिए कार्यकर्ताओं को यह भी संदेश फैलाने को कहा गया है कि सिसोदिया की वजह से ही उन परिवारों को भी राहत मिली है, जिनके बच्चे निजी स्कूलों में पढ़ते हैं, क्योंकि आप सरकार ने इन स्कूलों को फीस बढ़ाने की इजाजत नहीं दी।