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विदेशी मीडिया में PM मोदी के चर्चे, भारत की हो रही तारीफ; जानें जिनपिंग और बाइडेन के हाल

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विदेशी मीडिया में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और भारत की बढ़ती शक्ति की जमकर तारीफ हो रही है। जापान की एक मीडिया कंपनी ने दावा किया है कि साल 2023 भारत के नाम रहने वाला है। साथ ही भारत दुनिया तीसरी शक्ति के रूप में उभरने वाला है। इस रिपोर्ट में चीन और अमेरिका के बारे में भी बात की गई है। जापानी मीडिया कंपनी निक्केई एशिया के प्रधान संपादक शिगेसाबुरो ओकुमुरा ने अपने एक लेख में कहा है 2023 को भारत के दुनिया के तीसरे ध्रुव के रूप में उभरने के लिए याद किया जाएगा।

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उन्होंने लिखा, “एक साल पहले मैंने 2022 के लिए अपने पूर्वानुमान में शी जिनपिंग की बढ़ती ताकत और जो बाइडेन के कमजोर नेतृत्व की भविष्यवाणी की थी। मैं लगभग सही था, लेकिन वास्तविकता मेरी अपेक्षा से थोड़ी अलग निकली।” उन्होंने कहा, “शी जिनपिंग ने चीनी कम्युनिस्ट पार्टी के महासचिव के रूप में तीसरा कार्यकाल हासिल किया। लेकिन नवंबर में जारी व्हाइट पेपर के विरोध के बाद उनकी जीरो कोविड नीति को अचानक हटाने के फैसले से पता चला कि वह सर्वशक्तिमान नहीं हैं। उनकी विश्वसनीयता और गरिमा को नुकसान पहुंचा है।”

वह आगे लिखते हैं, “इसी तरह 2023 की शुरुआत में जो बाइडेन की स्थिति उतनी कमजोर नहीं है जितनी मैं भविष्यवाणी करता हूं। बाइडेन की डेमोक्रेटिक पार्टी ने प्रतिनिधि सभा में अपना बहुमत खोने के बावजूद नवंबर के चुनाव में अमेरिकी सीनेट पर अपने नियंत्रण का विस्तार किया।” उन्होंने कहा, “कांग्रेस के विभाजित होने के साथ बाइडेन के पास शायद चीन के खिलाफ सख्त रुख अपनाने के अलावा कोई विकल्प नहीं होगा। दूसरी ओर चीन अमेरिका के साथ अनावश्यक टकराव से बचने की कोशिश करेगा क्योंकि शी जिनपिंग इन दिनों काफी अनिश्चितताओं का सामना कर रहे हैं।”

संयुक्त राष्ट्र के मुताबिक, पिछले साल चीन की आबादी 1.426 अरब थी जबकि भारत की आबादी 1.417 अरब थी। जुलाई में संयुक्त राष्ट्र ने अनुमान लगाया था कि 2023 में चीन की आबादी गिर जाएगी जबकि भारत की आबादी इससे आगे निकल जाएगी। प्रधान संपादक ने कहा कि 2050 तक संयुक्त राष्ट्र को उम्मीद है कि भारत में 1.6 अरब और चीन में 1.3 अरब लोग होंगे।

उन्होंने कहा, “बढ़ती कामकाजी उम्र की आबादी आर्थिक विकास का एक महत्वपूर्ण स्रोत है। भारत का उदय इसे अंतरराष्ट्रीय राजनीति में नई शक्ति देगा। भारत के साथ चीन का सीमा विवाद बढ़ता जा रहा है। भारत अमेरिका और अन्य सैन्य सहयोगियों के करीब आ गया है। यह बीजिंग को ताइवान या अन्य जगहों पर सैन्य दुस्साहस को रोकने में मदद कर सकता है।”

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