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बंगाल चुनाव: इन सात कारणों से इस बार हार सकती हैं ममता

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बंगाल में चुनाव अब कुछ ही माह दूर रह गए हैं लेकिन अभी भी यहाँ की तसवीर साफ़ नहीं हुई है कि क्या ममता बनर्जी तीसरी बार भी राज्य की मुख्यमंत्री बनेंगी या इस बार यहाँ फिर से सत्ता परिवर्तन होगा। तसवीर के इस धुँधलेपन के दो प्रमुख कारण हैं –

 

पहला, 2019 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी को मिले जन-समर्थन में आकस्मिक और ज़बर्दस्त उछाल। जब उसका वोट शेयर 2014 के 17% से बढ़कर 40% तक पहुँच गया था। तृणमूल को उस चुनाव में 43% यानी केवल 3% अधिक वोट मिले थे।

 

दूसरा, हाल में तृणमूल कांग्रेस से कुछ बड़े और कई छोटे नेताओं का बीजेपी के ख़ेमे में पलायन। अगर विधानसभा चुनाव में भी बंगाल के वोटर लोकसभा चुनाव की तरह ही वोटिंग करें और ये दलबदलू नेता अपने साथ तृणमूल के केवल 1.5% वोट भी बीजेपी ख़ेमे में ले जाने में कामयाब रहें तो बाज़ी बराबर पर आ जाएगी (41.5 बनाम 41.5)। अगर वे इससे ज़्यादा वोट बीजेपी की तरफ़ ले जाने में सफल हुए तो बीजेपी तृणमूल से आगे चली जाएगी और सरकार बना लेगी।

अगर केवल इन दो बिंदुओं के आधार पर कोई निष्कर्ष निकालें तो अगले चुनाव में बीजेपी की जीत बहुत आसान नज़र आती है क्योंकि ऐंटी-इन्कंबंसी के कारण पाँच साल के शासन के बाद सत्तारूढ़ पार्टी के जन-समर्थन में वैसे भी 5 प्रतिशत तक की कमी आ जाती है। लेकिन बंगाल इतना अलग है और यहाँ की राजनीति इतनी विचित्र कि पिछले कई सालों से चुनावी विशेषज्ञों की भविष्यवाणियाँ लुढ़कती नज़र आई हैं। इसलिए हम भी यहाँ कोई भविष्यवाणी नहीं करेंगे। बस, उन कुछ कारणों की चर्चा करेंगे जो बीजेपी को जिता सकते हैं और उन कुछ कारणों की भी जो तृणमूल को तीसरी बार विजयी बना सकते हैं। पहले वे सात कारण जो इस बार राज्य में सत्ता परिवर्तन करा सकते हैं।
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