गुजरात में कोरोना से मरने वालों की संख्या बढ़ी
1 min readगुजरात सरकार ने अब जाकर माना है कि राज्य में कोरोना से मरने वालों की जितनी गिनती की गई थी, असली संख्या उससे करीब 10,000 ज्यादा है. सरकार ने यह जानकारी सुप्रीम कोर्ट में पेश किए एक हलफनामे में दी.गुजरात के आधिकारिक हेल्थ बुलेटिन के मुताबिक राज्य में कोरोना से 10,099 लोगों की मौत हुई थी, लेकिन राज्य सरकार ने सोमवार, 13 दिसंबर को सुप्रीम कोर्ट को बताया कि उसे मुआवजे के लिए 22,557 आवेदन मिले हैं. यह सभी आवेदन कोविड से मरने वालों के निकट संबंधियों के हैं. सरकार ने सुप्रीम कोर्ट को बताया कि इनमें से 16,175 आवेदनों को स्वीकार भी कर लिया गया है. गुजरात सरकार के यह मान लेने से ये आशंकाएं बढ़ गई हैं कि देश में जितनी मौतों की जानकारी दी गई थी असली आंकड़ा उससे कहीं ज्यादा है. असलियत कुछ और कई मीडिया संगठन शवदाह गृहों और श्मशान घाटों से मिली जानकारी के आधार पर दावा कर चुके हैं कि गुजरात समेत कई राज्यों ने अप्रैल से जून के बीच आई दूसरी लहर के दौरान मरने वालों का सही आंकड़ा नहीं दिया है. अस्पतालों में बिस्तरों और ऑक्सीजन की भारी कमी की वजह से कई लोगों की घर पर ही मृत्यु हो गई और संभव है कि ये मौतें आधिकारिक आंकड़ों में शामिल ना हो पाई हों. इस मामले से संबंधित सीधी जानकारी रखने वाले गुजरात सरकार के एक अधिकारी ने बताया कि इन आवेदनों की संख्या अब बढ़कर 40,000 से ज्यादा हो गई है. उन्होंने यह भी बताया कि करीब आधे आवेदनों को स्वीकार भी कर लिया है
राज्य सरकार की कोविड मुआवजा नीति के तहत इन सभी परिवारों को 50,000 रुपए दिए जाएंगे. भारत में अभी तक कोविड से मरने वालों की संख्या कुल 4,75,636 दर्ज की गई है. अदालत के दबाव में इनमें कई राज्यों द्वारा दोबारा जांच कर दिए हुए आंकड़े भी शामिल हैं. आपदा असल में कितनी बड़ी थी इसका पता लगाने के लिए अदालतों ने कई राज्यों को दोबारा जांच के आदेश दिए हैं. मुख्य विपक्षी पार्टी कांग्रेस ने कहा है कि उसका मानना है कि असली संख्या इससे भी ज्यादा है. गुजरात कांग्रेस के मुख्य प्रवक्ता मनीष दोषी कहते हैं, “हम शुरू से कह रहे हैं कि गुजरात सरकार कोविड-19 के मामले और मौतों को कम कर के बता रही है” दोषी ने यह भी बताया कि पार्टी के अपने सर्वेक्षणों में मरने वालों की संख्या कम से कम 55,000 पाई गई है. मुआवजा गुजरात का राजस्व मंत्रालय दे रहा है. राजस्व मंत्री राजेंद्र त्रिवेदी ने टिप्पणी के लिए किए गए अनुरोध का जवाब नहीं दिया. सीके/एए (रॉयटर्स)