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अहमदाबाद विमान हादसे से जुड़ी 7 महत्वपूर्ण बातें, जिन्हें जानना बेहद जरूरी

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Ahmedabad-London Plane Crash: लंदन जाने वाला एयर इंडिया का बोइंग 787 ड्रीमलाइनर विमान गुरुवार दोपहर अहमदाबाद के सरदार वल्लभभाई पटेल अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डे के ठीक बाहर मेघानी नगर के एक रिहायशी इलाके में दुर्घटनाग्रस्त हो गया। उड़ान भरने के कुछ ही देर बाद विमान में आग लग गई। जिससे शहर के ऊपर घने काले धुएं का गुबार छा गया। जिससे राहत-बचाव कार्य में काफी मशक्कत का सामना करना पड़ा।

घटना के जो वीडियो सामने आए हैं उसमें विमान को इमारतों के पीछे दुर्घटनाग्रस्त होते और आग का गोला बनते हुए दिखाया गया। लंदन के गैटविक हवाई अड्डे की यात्रा कर रहे AI-171 ने एयर ट्रैफ़िक कंट्रोल से संपर्क खोने से कुछ क्षण पहले MAYDAY कॉल जारी की थी। अधिकारी अभी भी हताहतों का आकलन कर रहे हैं और कारण की जांच कर रहे हैं। यहां कुछ सवालों के जवाब दिए गए हैं।

अहमदाबाद-लंदन उड़ान के दौरान क्या हुआ?

विमान ने सरदार वल्लभभाई पटेल अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डे के रनवे 23 से दोपहर 1:39 बजे IST पर उड़ान भरी। उड़ान भरने के कुछ ही समय बाद, चालक दल ने एक मेडे (MAYDAY) संकट संकेत जारी किया, लेकिन फॉलो अप कम्युनिकेशन नहीं मिला। विमान मेघानी नगर क्षेत्र में हवाई अड्डे की परिधि से थोड़ा आगे दुर्घटनाग्रस्त हो गया। कथित तौर पर 625 फीट की ऊंचाई पर इसका सिग्नल खो गया और यह तेजी से नीचे उतर गया। विमान के प्रस्थान (Departure) के लिए मंजूरी मिलने के लगभग नौ मिनट बाद यह दुर्घटना हुई।

विमान में कौन-कौन सवार थे?

विमान में यात्रियों और चालक दल सहित 242 लोग सवार थे। एयर इंडिया के अनुसार, इनमें 169 भारतीय नागरिक, 53 ब्रिटिश नागरिक, एक कनाडाई और 7 पुर्तगाली नागरिक शामिल थे। मृतकों और घायलों की संख्या की अभी पुष्टि नहीं हुई है, लेकिन जीवित बचे लोगों का स्थानीय अस्पतालों में इलाज चल रहा है।

अहमदाबाद दुर्घटना में किस प्रकार का विमान शामिल था?

यह विमान बोइंग 787 ड्रीमलाइनर था, जिसका पंजीकरण (Registration) VT-ANB था, जिसे जनवरी 2014 में एयर इंडिया को सौंपा गया था। यह दुनिया भर में बोइंग 787 की पहली दर्ज दुर्घटना है, यह एक ऐसा मॉडल है जो अपने मजबूत सुरक्षा रिकॉर्ड के लिए जाना जाता है। उड़ान की कमान कैप्टन सुमीत सभरवाल के पास थी, जिन्होंने 8,200 उड़ान घंटों के साथ उड़ान भरी थी, और फर्स्ट ऑफिसर क्लाइव कुंदर ने उनकी सहायता की थी, जिन्होंने 1,100 घंटे उड़ान भरी थी।

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