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नगालैंड में नागरिकों की हत्या से नगा समझौते पर क्या असर पड़ने की संभावना है?

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नगालैंड के मोन जिले में भारतीय सेना के एक अभियान में नागरिकों के माने जाने का असर नगा शांति प्रक्रिया पर पड़ने की आशंका है। नगा शांति समझौते को लेकर भारत सरकार से बात कर रही प्रमुख ग्रुप NSCN(I-M) ने इसे काला दिन बताया है। नगा नेशनल पॉलिटिकल ग्रुप (NNPG) ने इस घटना के लिए सशस्त्र बल विशेष अधिकार अधिनियम (AFSPA) 1958 को जिम्मेदार बताया है।

तो नगा शांति समझौता कहां पहुंचा है?

नगालैंड की एक बड़ी आबादी का मानना है कि बातचीत खत्म हो चुकी है सिर्फ कुछ ख़ास पॉइंट पर बातचीत बाकी है। NSCN(I-M) का कहना है कि केंद्र सरकार जब तक नगालैंड के लिए अलग संविधान और फ्लैग की मांग नहीं मानती है तब तक कोई समझौता संभव नहीं है। केंद्र सरकार ने अलग झंडे और संविधान की मांग को सिरे से खारिज कर दिया है। केंद्र सरकार ने नगालैंड को अलग झंडे के बजाए सांस्कृतिक झंडा देने की बात कही है। और समझौते पर साइन करने के बाद संविधान के मसलों पर बातचीत की बात कही है। पूर्व इंटेलिजेंस ब्यूरो के विशेष निदेशक अक्षय मिश्रा द्वारा ये सुझाव बताए गए हैं।

NSCN(I-M) ने हाल में ही एक ब्यान में कहा था कि यह बहुत अजीब है कि भारत सरकार अब भी नगा समझौते का दिखावा दे रही है। समझौते को जानबूझकर लटकाया जा रहा है। ऐसा नहीं होना चाहिए। केंद्र सरकार ने 2015 में बताया था कि एक फ्रेमवर्क एग्रीमेंट पर साइन किए जा चुके हैं लेकिन यह साफ नहीं है कि अंतिम समझौते तक कब पहुंचा जा सकता है।

नागरिक हत्याओं से बातचीत पर क्या असर होगा?

हत्याओं से नगालैंड की जनता गुस्से में है। एक्सपर्ट्स का मानना है कि इस घटना के बाद समझौते पर असर पड़ने की आशंका है। नगालैंड के एक सीनियर अधिकारी का मानना है कि प्रदेश के लोग आज तक 1950-60 के दशक में हुए अत्याचार का आजतक हवाला देते रहते हैं। ऐसे में इस ताजा घटना से हालात और बिगड़ सकते हैं।

ताजा घटना का फायदा अलगाववादी और विद्रोही गुट भी उठा सकते हैं। इससे NSCN(I-M)  जैसी पार्टियां भी खुद को मजबूत कर सकती हैं क्योंकि केंद्र सरकार बैकफुट पर नजर आ रही है। ऐसे में नगा पार्टियां अपनी मांगों को और मजबूती से रख सकती हैं।

NNPG जो कि 7 विद्रोही गुटों का एक समूह है। इस ग्रुप ने अब तक शांति वार्ता का समर्थन किया है। NNPG ने अलग झंडे की मांग को पीछे खींच लिया है। ग्रुप ने एक बयान में कहा है कि सेना की कार्रवाई ने भारतीय पीएम और गृह मंत्री द्वारा की गई प्रतिबद्धताओं को कम कर दिया है। नगालैंड के कठोर कानून और दशकों से सैन्य अत्याचार ने नगा लोगों को बताया है कि वे कभी भारतीय नहीं हो सकेंगे।

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