Chaitra Navratri 2025 Day 4: मां कुष्मांडा की पूजा करने से आयु, यश, बल और आरोग्य की होती है प्राप्ति, जानिए पूजा- विधि, मंत्र, भोग और सबकुछ
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नवरात्रि के चतुर्थ दिन मां कुष्मांडा की उपासना की जाती है। बता दें कि ‘कुष्मांडा’ एक संस्कृत शब्द है जिसका अर्थ है कुम्हड़ा यानी पेठा की बलि देना। मान्यता है कि मां कुष्मांडा की उपासना से भक्तों के समस्त रोग-शोक मिट जाते हैं। इनकी भक्ति से आयु, यश, बल और आरोग्य की वृद्धि होती है। मां कुष्मांडा अत्यल्प सेवा और भक्ति से प्रसन्न होने वाली हैं। दुर्गा सप्तशती के अनुसार देवी कुष्मांडा अष्टभुजा से युक्त हैं। इसलिए इन्हें देवी अष्टभुजा के नाम से भी जाना जाता है। आइए जानते हैं मां कूष्मांडा का शुभ मुहूर्त, पूजा विधि, भोग, आरती और मंत्र के बारे में…
इस चीज का लगाएं भोग
वहीं अगर कुष्मांडा माता के भोग की बात करें तो देवी मां को मालापुआ का भोग लगाना चाहिए। इसके बाद यह प्रसाद सभी लोगों में वितरित करना चाहिए। माता को पालपुए का भोग लगाने से सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं। साथ ही कष्ट और रोग से मुक्ति मिलती है।
कमण्डलु, चाप, बाण, पदमसुधाकलश, चक्र, गदा, जपवटीधराम्॥
पटाम्बर परिधानां कमनीयां मृदुहास्या नानालंकार भूषिताम्।
मंजीर, हार, केयूर, किंकिणि रत्नकुण्डल, मण्डिताम्॥
प्रफुल्ल वदनांचारू चिबुकां कांत कपोलां तुंग कुचाम्।
कोमलांगी स्मेरमुखी श्रीकंटि निम्ननाभि नितम्बनीम्॥
मां कूष्मांडा की स्तुति मंत्र
या देवी सर्वभूतेषु माँ कूष्माण्डा रूपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः॥
मां कूष्मांडा की प्रार्थना
सुरासम्पूर्ण कलशं रुधिराप्लुतमेव च।
दधाना हस्तपद्माभ्यां कूष्माण्डा शुभदास्तु मे॥
मां कूष्मांडा बीज मंत्र
ऐं ह्री देव्यै नम:
मां कूष्मांडा की आरती (Maa Kushmanda Ki Aarti)
कूष्मांडा जय जग सुखदानी।
मुझ पर दया करो महारानी॥
पिगंला ज्वालामुखी निराली।
शाकंबरी मां भोली भाली॥
लाखों नाम निराले तेरे।
भक्त कई मतवाले तेरे॥
भीमा पर्वत पर है डेरा।
स्वीकारो प्रणाम ये मेरा॥
सबकी सुनती हो जगदम्बे।
सुख पहुंचती हो मां अम्बे॥
तेरे दर्शन का मैं प्यासा।
पूर्ण कर दो मेरी आशा॥
मां के मन में ममता भारी।
क्यों ना सुनेगी अरज हमारी॥
तेरे दर पर किया है डेरा।
दूर करो मां संकट मेरा॥
मेरे कारज पूरे कर दो।
मेरे तुम भंडारे भर दो॥
तेरा दास तुझे ही ध्याए।
भक्त तेरे दर शीश झुकाए॥