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फलस्तीन को इन तीन देशों से मान्यता मिलने का क्या है मतलब, फैसले से इजरायल क्यों हुआ बेचैन?

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दुनिया के तीन देश नार्वे आयरलैंड स्‍पेन फलस्‍तीन देश को मान्‍यता देने जा रहे हैं। यह तीनों ही यूरोपीय देश आधिकारिक तौर पर फलस्तीन को 28 मई को स्वतंत्र देश की मान्यता देंगे। संयुक्त राष्ट्र में प्रतिनिधित्व करने वाले 190 देशों में से लगभग 140 देश ने पहले ही फलस्तीन को एक स्वतंत्र देश के रूप में मान्यता दे चुके हैं।

इजरायल ने फलस्तीन पर दशकों से कब्जा कर रखा है। इजरायल दशकों से फलस्तीन की जमीन को अपना मानता है। इस वजह से इजरायल हमेशा फलस्तीन को अपने निशाने पर रखता है। इजरायल और फलस्तीन के बीच का संघर्ष ब्रिटिश काल से चल रहा है और यह जंग समय के साथ गहराता ही गया। इस जंग का बस एक ही समाधान माना गया जो सिर्फ दो-राज्य समाधान है।

फलस्तीन खुद को इजरायल से अलग करना चाहता है। फलस्तीन को स्वतंत्र देश घोषित करने के लिए स्पेन, आयरलैंड और नॉर्वे आगे आया है। यह तीनों ही यूरोपीय देश फलस्तीन को 28 मई को स्वतंत्र देश की मान्यता देंगे। यह कदम इजरायल द्वारा जारी जंग और इजरायल के हमले के बाद गाजा पट्टी में नागरिकों की मौत और मानवीय संकट पर अंतरराष्ट्रीय आक्रोश के बीच आया है।

इजरायल लगातार फलस्‍तीन को मान्‍यता देने का विरोध कर रहा है लेकिन अब उसे यूरोप से बड़ा झटका लगा है। नॉर्वे के प्रधानमंत्री जोनस गार स्तूर ने बुधवार को कहा कि उनका देश फलस्तीन को एक देश के तौर पर औपचारिक रूप से मान्यता दे रहा है। उन्होंने कहा, ‘अगर मान्यता नहीं दी गयी तो पश्चिम एशिया में शांति स्थापित नहीं हो सकती।’
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