Prakash veg

Latest news uttar pradesh

‘पुनर्विवाह के बाद भी पहले पति से गुजारा भत्ता का पूरा अधिकार’, मुस्लिम महिलाओं के हक में Bombay High Court का अहम फैसला

1 min read

बॉम्बे हाई कोर्ट ने स्पष्ट तौर पर कहा है कि तलाकशुदा मुस्लिम महिला दोबारा शादी करने के बाद भी अपने पहले पति से गुजारा-भत्ता पाने की हकदार है। कोर्ट ने मुस्लिम वुमेन (प्रोटेक्शन ऑफ राइट्स ऑन डाइवोर्स) एक्ट 1986 (MWPA) के प्रावधान को आधार बनाया है। न्यायमूर्ति राजेश पाटिल ने कहा कि ऐसी कोई शर्त नहीं है जो मुस्लिम महिला को पुनर्विवाह के बाद भरण-पोषण पाने से वंचित करती हो।

तीन तलाक कानून खत्म होने के बाद से कोर्ट तलाकशुदा महिलाओं के पक्ष में कई अहम फैसले कर रही है। इसी बीच, बॉम्बे हाई कोर्ट ने भी मुस्लिम तलाकशुदा महिलाओं के पक्ष में एक अहम फैसला सुनाया है।

दरअसल, कोर्ट ने स्पष्ट तौर पर कहा है कि  तलाकशुदा मुस्लिम महिला दोबारा शादी करने के बाद भी अपने पहले पति से गुजारा-भत्ता पाने की हकदार है। कोर्ट ने इस हक के लिए मुस्लिम वुमेन (प्रोटेक्शन ऑफ राइट्स ऑन डाइवोर्स) एक्ट 1986 (MWPA) के प्रावधान को आधार बनाया है।

पुनर्विवाह के बाद भी भरण-पोषण का अधिकार

कोर्ट ने केस से जुड़े तथ्यों पर विचार करने के बाद कहा कि मुस्लिम महिलाओं के हक को सुरक्षित करने के लिए एमडब्ल्यूपीए कानून लाया गया है। यह कानून दोबारा शादी के बाद भी मुस्लिम महिला के भरण-पोषण के अधिकार को सुरक्षित करता है। सुनवाई के दौरान, न्यायमूर्ति राजेश पाटिल ने कहा कि MWPA की धारा 3(1)(A) के तहत ऐसी कोई शर्त नहीं है, जो मुस्लिम महिला को पुनर्विवाह के बाद भरण-पोषण पाने से वंचित करती हो।

पति का पुनरीक्षण आवेदन खारिज

दरअसल, सऊदी अरब में काम करने वाले एक व्यक्ति की याचिका को खारिज करते हुए बॉम्बे हाईकोर्ट की पीठ ने यह निर्णय दिया है। निचली अदालत में पति को एक बार ही मेंटेनेंस अलाउंस देने का आदेश दिया गया था। इसके बाद पीड़िता ने JMFC, चिपलून और सत्र न्यायालय, खेड, रत्नागिरी के आदेशों को चुनौती देते हुए बॉम्बे हाई कोर्ट का रुख किया था, लेकिन व्यक्ति द्वारा दायर पुनरीक्षण आवेदन को खारिज कर दिया।

क्या है पूरा मामला?

इस जोड़े की शादी 9 फरवरी, 2005 को हुई थी और उनकी एक बेटी का जन्म 1 दिसंबर, 2005 को हुआ। शादी के बाद पति कमाई के लिए सऊदी चला गया और महिला अपनी बेटी रत्नागिरी के चिपलुन में अपने सास-ससुर के साथ रहने लगी। जून 2007 में, पत्नी ने कहा कि वह अपनी बेटी के साथ ससुराल छोड़कर अपने माता-पिता के घर चली गई।

लाइव लॉ के मुताबिक, इसके बाद, पत्नी ने सीआरपीसी की धारा 125 के तहत रखरखाव आवेदन दायर किया और पति ने अप्रैल 2008 में उसे तलाक दे दिया। JMFC, चिपलून ने शुरू में रखरखाव आवेदन खारिज कर दिया, लेकिन पत्नी ने मुस्लिम महिला ( तलाक अधिकारों का संरक्षण) अधिनियम, 1986 (एमडब्ल्यूपीए)  के तहत एक नया आवेदन दायर किया। जिसके बाद, अदालत ने पति को बेटी के लिए गुजारा भत्ता और पत्नी को एकमुश्त राशि देने का आदेश दिया।

पति ने आदेशों को चुनौती दी और पत्नी ने भी बढ़ी हुई राशि की मांग करते हुए एक आवेदन दायर किया। सत्र न्यायालय ने पत्नी के आवेदन को आंशिक रूप से स्वीकार करते हुए एकमुश्त भरण-पोषण राशि बढ़ाकर 9 लाख रुपये कर दिया, जिसके परिणामस्वरूप पति ने वर्तमान पुनरीक्षण आवेदन दाखिल किया।

2018 में महिला का दूसरा तलाक

कार्यवाही के दौरान, यह दिखाया गया कि पत्नी ने अप्रैल 2018 में दूसरी शादी की थी, लेकिन अक्टूबर 2018 में फिर से उसका तलाक हो गया। आवेदक के वकील शाहीन कपाड़िया ने दलील दी कि पत्नी, दूसरी शादी करने के बाद, अपने पहले पति से भरण-पोषण की हकदार नहीं है। उन्होंने कहा कि पत्नी केवल दूसरे पति से ही गुजारा-भत्ता मांग सकती है।

0Shares

Leave a Reply

Your email address will not be published.

https://slotbet.online/