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ATM कार्ड बना ICU! सरकार को लूट रहे अस्पताल, बिल बढ़ाने के खेल में 369 हॉस्पिटल आयुष्मान भारत से बाहर

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आयुष्मान भारत स्कीम के जरिए बिल बढ़ाने और धोखाधड़ी कर रहे अस्पतालों के कई मामले सामने आए हैं। इसके बाद कार्रवाई करते हुए अब तक 369 निजी अस्पतालों को आयुष्मान भारत योजना से बाहर कर दिया गया है।

ATM कार्ड बना ICU! सरकार को लूट रहे अस्पताल, बिल बढ़ाने के खेल में 369 हॉस्पिटल आयुष्मान भारत से बाहर

आयुष्मान भारत स्कीम के जरिए अस्पतालों ने सरकार को लूटना शुरू कर दिया है। रिपोर्ट्स के मुताबिक, उत्तर प्रदेश के कुछ निजी अस्पताल आसानी से पैसा कमाने के लिए आयुष्मान भारत योजना के तहत फर्जीवाड़ा कर रहे हैं। इसके लिए बिलों को बढ़ाकर दिखाया जा रहा है। कई केस सामने आए हैं जहां जनरल वॉर्ड के मरीजों को आईसीयू में भर्ती करके उनकी फोटो खींची जा रही है और फिर उन्हें वापस जनरल वॉर्ड भेजा गया है। ऐसा करने से अस्पताल जनरल वार्ड के बिल की जगह आईसीयू का बिल बढ़ाकर आयुष्मान स्कीम से पैसा कमा रहे हैं। फर्जीवाड़ा पकड़ में आने के बाद से 369 अस्पतालों को योजना से बाहर कर दिया गया है।

लगभग 160 ऐसे मामले सामने आए हैं जहां अस्पतालों ने पैसा कमाने के लिए आयुष्मान भारत योजना के तहत फर्जी बिल दिखाए हैं। इनमें से पांच मामले लखनऊ के भी मिले। हालांकि सरकार इन फर्जीवाड़ों से निपटने के लिए हर मुमकिन कोशिश कर रही है। इस बारे में जानकारी देते हुए सीईओ सैकिस (स्टेट एजेंसी फॉर कॉम्प्रिहेंसिव हेल्थ एंड इंटीग्रेटेड सर्विसेज), संगीता सिंह ने कहा कि धोखेबाजों को पकड़ने के लिए हमारे पास एआई से लेस सॉफ्टवेयर के साथ एक मजबूत स्क्रीनिंग प्रक्रिया है। इसके तहत फर्जीवाड़ा करने वालों को पकड़ने के लिए नए तरीके अपना जा रहे हैं। इसकी के साथ धोखाधड़ी के मामलों में दोषी पाए जाने पर अस्पतालों को पकड़ा जा रहा है और पैनल से हटाया जा रहा है। इतना ही नहीं बल्कि उन्हें भुगतान की गई राशि की वसूली भी उनसे की जा रही है।

आयुष्मान भारत में निजी अस्पतालों के अलावा सरकारी अस्पताल भी शामिल हैं। ऐसे में केवल निजी ही नहीं बल्कि सरकारी अस्पतालों की भी निगरानी की जा रही है। 88 निजी अस्पतालों को भी निगरानी सूची में रखा है। निगरानी सूची में आने वाले अस्पतालों को हर बिल जमा करने पर एक जांच प्रक्रिया से गुजरना होगा। उनके बिलों का सत्यापन किया जाएगा। इसके लिए फोन से मरीजों के साथ क्रॉस चेक भी किया जाता है। सभी मानक पूरे होने पर ही अस्पतालों के बिल का भुगतान किया जाता है।

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