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महागठबंधन के लिए कांग्रेस को देनी पड़ेगी बड़ी कुर्बानी, भाजपा के खिलाफ विपक्ष के एक ही उम्मीदवार की तैयारी

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महागठबंधन के लिए कांग्रेस को देनी पड़ेगी बड़ी कुर्बानी।

विपक्षी एकता के लिए प्रयासरत कांग्रेस का शीर्ष नेतृत्व और जदयू-राजद बुधवार की बैठक को ऐतिहासिक तो बता रहा है, लेकिन जो फार्मूले प्रस्तावित हैं उसपर अमल किया गया तो कांग्रेस को बड़ी कुर्बानी देनी होगी। बताया जाता है कि नीतीश कुमार और तेजस्वी यादव ने कांग्रेस को यह संकेत दे दिया है कि उसे उन सीटों पर ही ध्यान केंद्रित करना चाहिए जहां पार्टी जीती थी या फिर दूसरे नंबर पर आई थी।

कांग्रेस को करीब 260 सीटों पर होना पड़ेगा सीमित

ऐसे में कांग्रेस को लगभग 260 सीटों पर सीमित होना पड़ेगा और बाकी की 300 सीटों पर साथी दल उतरेंगे। यह प्रस्ताव कुछ इस लिहाज से आया है कि ऐसी स्थिति में ही भाजपा उम्मीदवार के खिलाफ एक ही संयुक्त उम्मीदवार दिया जा सकेगा। वरना क्षेत्रीय दलों को साथ लाना मुश्किल होगा।

कांग्रेस, राजद और जदयू में बनी सहमति

सूत्रों का कहना है कि बैठक में यह बताया गया कि बिहार में नीतीश कुमार ने भाजपा से अलग होकर 2015 के विधानसभा चुनाव में राजद समेत तीन बड़े दलों का गठबंधन बनाकर इसी फार्मूले से भाजपा को सत्ता में आने से रोका था। दावा यह भी किया जा रहा है कि कांग्रेस, राजद और जदयू में इस फार्मूले पर सहमति बन चुकी है। अब बाकी दलों को बताना है। किसी दल के पास अगर कोई दूसरा फार्मूला है, तो उसे भी विचार के लिए आमंत्रित किया जाएगा।

विपक्षी एकता को लेकर प्रयास तेज

तबतक विपक्षी दलों को एक मंच पर लाने का प्रयास जारी रहेगा और इसके लिए अलग अलग नेता अलग अलग दलों से बात करेंगे। बताया जाता है कि नीतीश कुमार को तृणमूल कांग्रेस, आम आदमी पार्टी जैसे दलों से बात करने की जिम्मेदारी दी गई है, जबकि तेजस्वी समाजवादी पार्टी, भारत राष्ट्र समिति आदि से बात करेगे। सपा मुखिया अखिलेश यादव से तेजस्वी का पारिवारिक रिश्ता भी है। कांग्रेस बाकी दलों के साथ वार्ता करेगी।

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