Prakash veg

Latest news uttar pradesh

बेटा, भाई, भतीजा…परिवारवाद के आरोपों के बीच जब मुलायम के काबू से बाहर हो गया परिवार का झगड़ा

1 min read

सपा के संस्‍थापक और तीन बार यूपी के मुख्‍यमंत्री रहे मुलायम सिंह यादव पर अक्‍सर परिवारवाद के आरोप लगते थे। उन्‍होंने अपने बेटे अखिलेश यादव को मुख्‍यमंत्री बनाया, बहू डिंपल को सांसद और भाई शिवपाल को मंत्री। मुलायम के खानदान में भाई, भतीजा, बहू, बेटा और रिश्‍तेदारियों में कई लोग राजनीति में आए और जनता ने उन्‍हें तुरंत संसद, विधानसभा, जिला पंचायत या फिर किसी अन्‍य प्रतिष्ठित ओहदे तक पहुंचा दिया।

इन सबके चलते मुलायम परिवारवादी माने गए और हमेशा विपक्ष के निशाने पर रहे लेकिन परिवार के लिए वह सबकुछ थे इसलिए विपख के हर आरोप को उन्‍होंने मुस्‍कुराकर हवा में उड़ा दिया। फिर एक वक्‍त ऐसा आया जब मुलायम के कुनबे का झगड़ा उनके काबू से बाहर हो गया। लाख कोशिशों के बावजूद बेटे अखिलेश और भाई शिवपाल में वह एकता न करा सके और एक दिन कुनबे की लड़ाई का टीवी पर टेलीकास्‍ट तक हो गया।

यह मौका था लखनऊ में समाजवादी पार्टी नेताओं की एक बड़ी बैठक का। मुलायम सिंह यादव मंच से नेताओं को सम्‍बोधित कर रहे थे। उनके बेटे और तत्‍कालीन मुख्‍यमंत्री अखिलेश यादव भी मंच पर मौजूद थे। मुलायम पूरे रौ थे। बोलते-बोलते वह मुख्‍यमंत्री यानि अपने बेटे को जनता के मुद्दों पर घेरने लगे। अखिलेश भी आज्ञाकारी बेटे की तरह मुस्‍कुराते हुए उनकी बात सुन रहे थे। यह बैठक ऐसे समय हो रही थी जब तक यादव परिवार के अंदरुनी झगड़े की छिटपुट खबरें बाहर आने लगी थीं। इसके पहले अखिलेश को पूरे चार साल विरोधियों के ‘साढ़े चार मुख्‍यमंत्री वाली सरकार’, ‘चाचाओं की सरकार’ जैसे तंज झेलने पड़े थे। अखिलेश अब तक ऐसे हर तंज और नेताजी की हर डांट का मुकाबला हंसते-मुस्‍कुराते करते थे और मुलायम सिंह भी कभी सख्‍त, कभी मुलायम वाले अंदाज में उन्‍हें झिड़की लगाते रहते थे। लेकिन उस दिन जब सपा नेताओं की बैठक में सार्वजनिक रूप से मुलायम सिंह ने कहा- ‘मुझे मुसलमानों की तरफ से एक चिट्ठी आई है। उसमें लिखा है कि आपका बेटा मुसलमानों को पार्टी से दूर करना चाह रहा है।’ तो अखिलेश अपनी जगह से उठ खड़े हुए। वह मुलायम सिंह के पास पहुंचे और बोले- ‘नेताजी वो चिट्ठी मुझे दीजिए। दिखाइए वो चिट्ठी।’

मुलायम के लिए ये पहला और अपनी तरह का बिल्‍कुल अप्रत्‍याशित मौका था। वह अखिलेश का बगावती तेवर देख रहे थे। उन्‍होंने थोड़ा गुस्‍से में कहा-‘मुझसे इस तरह बात मत कीजिए। जाइए बैठ जाइए।’ लेकिन अखिलेश वहां से नहीं हठे। उन्‍होंने दोबारा चिट्ठी मांगी। फिर बोलने का मौका अखिलेश का था। उन्‍होंने आरोप लगाया कि उनके खिलाफ साजिश हो रही है। अखबार में उनके लिए औरंगजेब और नेताजी के लिए शाहजहां जैसे सम्‍बोधन लिखे जा रहे हैं। इसी दौरान चाचा शिवपाल भी वहां आ गए। तब लोगों ने उनके और अखिलेश के बीच कुछ देर तक छीना-छपटी भी देखी।

0Shares

Leave a Reply

Your email address will not be published.

https://slotbet.online/