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नए साल में ज़्यादा बढ़ गई हैं कांग्रेस की चुनौतियां

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2014 में केंद्र की सत्ता से बाहर होने के बाद लगातार चुनौतियों से जूझ रही कांग्रेस को नए साल 2021 में भी कोई राहत मिलती नज़र नहीं आ रही है। बल्कि नए साल में उसकी चुनौतियों में इज़ाफ़ा होने की आशंका है।

चुनौतियों का पहाड़ है सामने

ऐसा पहली बार हो रहा है कि डेढ़ साल से भी ज़्यादा समय से पार्टी एक ही सवाल पर अटकी हुई है और एक ही जगह खड़ी है। यहां मामला भी अलग है। पहले पार्टी में कई बार गांधी-नेहरू परिवार के वर्चस्व को चुनौती दी गई। इसके चलते कई बार पार्टी टूटी। नई पार्टी बनी। लेकिन यहां पूरी कांग्रेस गांधी-नेहरू परिवार के पीछे खड़ी है। पार्टी को इस परिवार से बाहर का कोई नेता अध्यक्ष मंज़ूर नहीं है। लेकिन राहुल गांधी अभी भी इस ज़िद पर अड़े हैं कि उनके परिवार से बाहर के किसी व्यक्ति को पार्टी का अध्यक्ष बनाया जाए।

कांग्रेस के सामने पहले से ही चुनौतियों का पहाड़ है। राजनीतिक पंडितों के मुताबिक़ कांग्रेस अपने गठन के बाद के सबसे बड़े संकट के दौर से गुज़र रही है। ये दौर लंबा खिंचता जा रहा है। पहले भी कई बार कांग्रेस ऐसे संकटों से गुज़री है। तब संकट कुछ दिनों या फिर कुछ महीने में ही ख़त्म हो जाता था। पार्टी में पहले भी कई वरिष्ठ नेताओं ने बग़ावत की। कई बार पार्टी टूटी, लड़खड़ाई और फिर आगे बढ़ी। चाहे चौधरी चरण सिंह की इंदिरा गांधी के ख़िलाफ़ बग़ावत हो या फिर वीपी सिंह की राजीव गांधी के ख़िलाफ़।

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