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Somvati Amavasya : सोमवती अमावस्या 30 दिसंबर को, जानें पूजा-विधि समेत सभी जानकारियां

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 30 दिसंबर को आने वाली सोमवती अमावस्या विशेष महत्व रखती है। इस दिन वृद्धि योग और मूल नक्षत्र का शुभ संयोग बन रहा है, जो इसे और भी पवित्र और फलदायी बनाता है। हिंदू धर्म में अमावस्या के दिन का विशेष महत्व होता है। खासकर जब यह सोम यानी सोमवार के दिन पड़ती है, तो इसका महत्व और भी बढ़ जाता है। इसे सुख-समृद्धि और शांति का प्रतीक माना जाता है। पीपल वृक्ष की पूजा करने से घर परिवार में सुख-समृद्धि आएगी। पंडित सूर्यमणि पांडेय ने बताया कि इस सोमवती अमावस्या पर वृद्धि योग बन रहा है, जो शुभ कार्यों और साधना के लिए अनुकूल है। वहीं मूल नक्षत्र इस दिन को और भी पवित्र बनाता है। इस संयोग में किए गए धार्मिक कार्य और पूजा अत्यधिक फलदायी होते हैं। यह योग धन-धान्य, समृद्धि और परिवार के कल्याण के लिए श्रेष्ठ माना गया है।

पीपल वृक्ष की पूजा का महत्व : आचार्य पप्पू पांडेय कहते हैं कि सोमवती अमावस्या पर पीपल के वृक्ष की पूजा का विशेष महत्व है। ऐसा माना जाता है कि पीपल में सभी देवताओं का वास होता है। महिलाएं इस दिन पीपल के वृक्ष की परिक्रमा कर सुख-समृद्धि और परिवार की लंबी आयु की कामना करती हैं। सोमवार की सुबह से ही मंदिरों और पीपल वृक्ष के नीचे श्रद्धालुओं की भीड़ पूजा के लिए जुटेगी। महिलाएं पारंपरिक परिधानों में सजी-धजी, थाल में दीप, कच्चा दूध, गंगाजल और चावल लेकर वृक्ष की पूजा करेंगी। भक्त पूजा में वृक्ष पर जल, दूध और चावल अर्पित कर 108 बार परिक्रमा करते हुए सुख-समृद्धि की मंगल कामना करेंगे।

पूजा-विधि : प्रात:काल स्नान करके स्वच्छ वस्त्र धारण करें। पीपल वृक्ष के नीचे दीपक जलाएं और गंगाजल अर्पित करें। वृक्ष की 108 बार परिक्रमा करें और ॐ नम: शिवाय या ॐ विष्णवे नम: का जाप करें। पीपल को कच्चा दूध, जल, हल्दी और चावल अर्पित करें। अंत में हाथ जोड़कर परिवार की सुख-समृद्धि और शांति के लिए प्रार्थना करें।

पितृ तर्पण और दान का महत्व :इस दिन पितरों की आत्मा की शांति के लिए तर्पण करना और दान देना भी अत्यंत शुभ माना जाता है। गायों को चारा खिलाना, गरीबों को भोजन कराना और कपड़े या धन का दान करना पुण्यकारी होता है।

धार्मिक और ज्योतिषीय दृष्टिकोण : ज्योतिष विशेषज्ञों के अनुसार इस दिन ग्रहों की स्थिति साधना और मंत्र जाप के लिए बेहद अनुकूल है। वृद्धि योग और सोमवती अमावस्या का संयोग जीवन में सकारात्मक ऊर्जा और समृद्धि लाता है। पूजा के दौरान कुछ बातों का भक्त अवश्य ख्याल रखें। पूजा में सच्ची श्रद्धा और आस्था रखें। नकारात्मक विचारों से बचें और दूसरों की भलाई का संकल्प लें। अमावस्या के दिन अधिक क्रोध या विवाद से बचें। इस सोमवती अमावस्या पर वृद्धि योग और मूल नक्षत्र का संयोग इसे विशेष बनाता है। पीपल वृक्ष की पूजा, पितृ तर्पण और दान-पुण्य से न केवल सुख-समृद्धि प्राप्त होगी, बल्कि मानसिक शांति और आत्मिक संतोष भी मिलेगा। धर्म-कर्म में रुचि रखने वाले भक्तों के लिए यह दिन एक स्वर्णिम अवसर है। अमावस्या पर महिलाओं की श्रद्धा और समर्पण धार्मिक स्थलों पर एक विशेष ऊर्जा का संचार करता है, जो सुख-समृद्धि और शांति का संदेश देता है।

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