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मेरे पिता मुझमें जिंदा हैं; राजीव की हत्या के दौरान क्या कर रहे थे राहुल गांधी; 21 साल थी उम्र

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कांग्रेस नेता राहुल गांधी का आज जन्मदिन है। 53 साल के राहुल गांधी पर उनके पिता राजीव गांधी का बहुत प्रभाव रहा है। वह कहते भी रहे हैं कि अपने पिता से प्रभावित रहा हूं और उनकी हत्या ने जिंदगी बदल दी।

मेरे पिता मुझमें जिंदा हैं; राजीव की हत्या के दौरान क्या कर रहे थे राहुल गांधी; 21 साल थी उम्र

कांग्रेस नेता राहुल गांधी अकसर मोहब्बत की दुकान खोलने जैसी बातें करते हैं। वह कहते हैं कि हम नफरत के खिलाफ मोहब्बत की राजनीति कर रहे हैं। राहुल गांधी कहते हैं कि उनकी जिंदगी पर सबसे ज्यादा प्रभाव पिता राजीव गांधी का रहा है। राहुल गांधी कहते हैं कि पिता की हत्या ने उनकी पूरी जिंदगी को ही बदल दिया था। हालांकि वह कहते हैं कि मैंने अपने पिता के हत्यारों को माफ कर दिया है। मेरे पिता आज भी मेरे अंदर जिंदा हैं और मुझसे बातें करते हैं। वह कहते हैं, ‘मुझे किसी के भी खिलाफ गुस्सा या नफरत का भाव नहीं है। मैंने अपने पिता को खोया था और वह मेरे लिए बेहद कठिन समय रहा।’

हत्यारों को लेकर कैसा सोचते हैं? इस बारे में पूछने पर राहुल गांधी ने कहा था, ‘मुझे बेहद दुख हुआ और गहरा दर्द पहुंचा। लेकिन मैं गुस्सा या नफरत महसूस नहीं करता। मैं उन लोगों को माफ कर दिया।’ राहुल गांधी इस बात को आगे बढ़ाते हुए कहते हैं, ‘हिंसा आपसे कुछ भी छीन नहीं सकती। मेरे पिता मेरे भीतर ही मौजूद हैं और जिंदा हैं। मेरे पिता मुझसे बातें करते हैं।’ पिता राजीव गांधी की जिस वक्त हत्या हुई, उस दौरान राहुल गांधी हार्वर्ड यूनिवर्सिटी में ग्रेजुएशन की पढ़ाई कर रहे थे। फिर सुरक्षा कारणों से उनको अमेरिका के फ्लोरिडा में स्थित रोलिन्स कॉलेज में शिफ्ट किया गया था। यहां से उन्होंने 1994 में बीए की डिग्री ली थी।

दादी की हत्या के बाद भाई-बहन घर में ही पढ़ने लगे

कहा जाता है कि इस दौरान राहुल गांधी अपने छद्म नाम से वहां जाने जाते थे। सुरक्षा कारणों से उनकी पहचान किसी को बताई नहीं गई थी कि वे कौन हैं और किस परिवार से ताल्लुक रखते हैं। पिता राजीव गांधी की हत्या के वक्त राहुल गांधी की उम्र महज 21 साल थी। उनके लिए यह गहरे सदमे की तरह था क्योंकि 1984 में ही दादी इंदिरा गांधी की सिख कट्टरपंथियों ने हत्या कर दी थी। तब भी राहुल गांधी और उनकी छोटी बहन प्रियंका को सुरक्षा कारणों से घर पर ही काफी समय तक पढ़ना पड़ा था।

अमेठी में हार तक कैसा रहा राजनीतिक सफर

दिल्ली के कोलंबस स्कूल और फिर दून स्कूल से स्कूली पढ़ाई के बाद राहुल गांधी ने 1989 में सेंट स्टीफेंस कॉलेज में दाखिल लिया था। फिर एक साल पढ़ने के बाद ही वह हार्वर्ड यूनिवर्सिटी चले गए थे। एमफिल तक की पढ़ाई करने वाले राहुल गांधी ने राजनीति में आने से पहले लंदन में तीन साल तक एक मैनेजमेंट कंसल्टिंग फर्म में भी काम किया था। राहुल गांधी ने 2004 में सक्रिय राजनीति में आने का ऐलान किया था और फिर अमेठी लोकसभा सीट से चुनाव जीते। यहीं से कभी उनके पिता सांसद होते थे। इसके बाद 2009 और 2014 में भी राहुल को जीत मिली, लेकिन 2019 में यहां से हार गए, लेकिन वायनाड से सांसद बने। अब सदस्यता छिनने के बाद तो वह सांसद ही नहीं हैं।

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