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Mayawati Birthday: कैसे टीचर से कांशीराम के नजदीक और बसपा की बॉस बनीं मायावती

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बसपा सुप्रीमो मायावती का जन्मदिन 15 जनवरी रविवार को जनकल्याणकारी दिवस के रूप में मनाया जाएगा। इस मौके पर कैलाश खेर के गीत को भी लांच करेंगी। लोकसभा चुनाव को देखते हुए इसे बसपा की दिल्ली यूनिट ने तैयार कराया है। इसमें मायावती के जीवनी और संघर्षो के बारे में गीत के माध्यम से प्रस्तुत किया गया है।  15 जनवरी 1956 को जन्मी मायावती ने राजनीति में आने से पहले एक स्कूल में पढ़ाती थीं। एक शिक्षक कैसे राजनीति में आ गईं? कैसे मायावती को कांशीराम की राजनीतिक विरासत मिल गई और पार्टी की बॉस बन गईं।

मायावती की जीवनी लिखने वाले लेखक अजय बोस ने की अपनी किताब ‘बहनजी- बायोग्राफी ऑफ मायावती’ में दावा किया है कि यूपी में मुख्यमंत्री का पद हासिल करने वाली उत्तर प्रदेश की दलित मुख्यमंत्री मायावती को घर में ही भेदभाव का सामना करना पड़ा था। यह भेदभाव उनके दलित होने पर नहीं, बल्कि लड़की होने के लिए किया गया था और करने वाले उनके ही पिता थे।  छह भाईयों और तीन बहनों वाले उनके परिवार में सभी बहनों को भेदभाव का सामना करना पड़ा। जहां उनके सभी भाईयों की पढ़ाई पब्लिक स्कूलों में हुई, वहीं सभी बहनों का दाखिला सस्ते सरकारी स्कूल में करवाया गया।

आईएस बनने का देखा था सपना

मायावती अपने सभी भाई बहनों में पढ़ने में सबसे तेज थीं। उन्होंने आईएस बनने का सपना देखा था। राजनीति में आने से पहले उन्होंने बच्चों को पढ़ाने का भी काम किया।  वह दिल्ली में जेजे कॉलोनी के एक स्कूल में पढ़ाती थीं। स्कूल की नौकरी के बाद जो समय बचता था उसे वह यूपीएससी की तैयारी में लगाती थीं। लेकिन, उनके जीवन में तब एक बड़ा बदलाव आया जब कांशीराम ने बहुजन समाज पार्टी का गठन किया। मायावती उनकी विचारधारा से काफी प्रभावित हुईं। इसके बाद उन्होंने आईएएस बनने को अपने सपने को छोड़ दिया और राजनीति में कूद गई।

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