अभी चुनाव हैं दूर, फिर पेट्रोल-डीजल पर TAX में कटौती करने को क्यों हुई मोदी सरकार मजबूर? समझें एक-एक बात
1 min readकेन्द्र सरकार की तरफ से शनिवार को आम नागरिकों को बड़ी राहत देते हुए पेट्रोल-डीजल पर एक्साइज ड्यूटी में कटौती करने का फैसला किया गया। केन्द्र की नरेंद्र मोदी सरकार ने कल यानी शनिवार को पेट्रोल पर 9.5 रुपये प्रति लीटर और डीजल पर 7 रुपये प्रति लीटर एक्साइज ड्यूटी में कटौती करने का फैसला किया था। आखिरी बार एक्साइज ड्यूटी में कटौती का फैसला तब किया गया था जब उत्तर प्रदेश सहित पांच राज्यों के विधानसभा चुनाव नजदीक थे।
चुनाव परिणाम आते ही पेट्रोल-डीजल से लेकर एलपीजी तक की कीमतों में तेज उछाल देखने को मिला था। कांग्रेस सहित तमाम विपक्षी दल भी भाजपा पर यही आरोप लगाते हैं कि केन्द्र की नरेंद्र मोदी सरकार चुनाव को देखकर फैसले लेती है। ऐसे में सवाल उठता है कि गुजरात और हिमाचल के विधानसभा चुनाव इस साल के अंत में होने को हैं तो आखिर क्या वजह है कि केन्द्र सरकार को यह फैसला रुस और यूक्रेन युद्ध की वजह से वैश्विक अस्थिरता के बीच लेना पड़ा? आइए समझते हैं एक-एक बात
तीन दशक में सबसे अधिक हुई थोक महंगाई दर
अप्रैल के थोक महंगाई दर के आंकड़ों ने सरकार की चिंताओं को बढ़ा दिया। अपने सभी पुराने रिकॉर्ड तोड़ते हुए अप्रैल में थोक महंगाई दर 15% के पार पहुंच गई। सरकारी आंकड़ों के अनुसार अप्रैल में थोक महंगाई दर 15.08% रही। जोकि पिछले तीन दशक में सबसे अधिक है। बता दें, अप्रैल 2021 से ही थोक महंगाई दर दहाई के पार बनी हुई है।
गांवों में बढ़ती महंगाई से लोग बेहाल
शहरों के मुकाबले गांव के लोग महंगाई से अधिक परेशान हैं। आंकड़ों के अनुसार मार्च के महीने में गांव में खुदरा महंगाई दर 7.66% थी। वहीं, अप्रैल के महीने में यह बढ़कर 8.38% हो गई, जबकि एक साल पहले अप्रैल के महीने में गांवों में महंगाई दर 3.75% थी। यानी एक साल बाद मंहगाई दोगुना हो गई। शहरों में महंगाई दर अप्रैल 2022 में 7.09% रही। जोकि गांवों की तुलना में अधिक है।