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Rahul Bajaj: बुलंद भारत की निडर आवाज, अमित शाह को भरी सभा में सुनाई थी खरी-खरी

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भारतीय उद्योग जगत में राहुल बजाज की पहचान मुनाफे के लिए काम करने वाले उद्योगपति से ज्यादा बिना लाग-लपेट के विचार व्यक्त करने वाले उद्यमशील विचारक की रही है। अपनी बात उन्होंने हमेशा निडरता से सामने रखी, भले ही वह बात उन्हें राजनीतिक रूप से नुकसान क्यों न पहुंचाए। उनकी कामयाबी सिर्फ व्यापार क्षेत्र तक सीमित नहीं थी, बल्कि वह समाज के बड़े तबके को आत्मसम्मान की अनुभूति कराने वाले नायक के तौर पर हमेशा याद किए जाएंगे। उनकी उद्यमशीलता ने देश के घर-घर में दुपहिया वाहन पहुंचा दिया जिससे लोगों में गौरव और आत्मसम्मान उपजा। करीब पांच दशक तक भारतीय व्यापार जगत में सितारे की तरह जगमगाते राहुल बजाज देश की उन महान विभूतियों में शामिल हैं, जिनका कद उनकी जिंदगी से बहुत बड़ा होता है और जिनके व्यक्तित्व से देश और समाज रोशन होता है।

शाह को भरी सभा में सुनाई खरी-खरी
राहुल बजाज का हौसला उन्हें बड़ा उद्योगपति तो बनाता है लेकिन निडरता उन्हें एक बहादुर इंसान बनाती है। वह बिना डरे बेबाकी से अपनी बात रखते थे फिर चाहें सामने सरकार हो या कोई बड़ी हस्ती। नवंबर 2019 में एक मीडिया संस्थान के मुंबई में हुए कार्यक्रम में इसका नमूना भी दिखा था जब गृहमंत्री अमित शाह, वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण और वाणिज्य मंत्री पीयूष गोयल के सामने उन्होंने सरकार पर सवाल उठाये थे। राहुल बजाज ने कहा था, यह भय का वातावरण, निश्चित रूप से हमारे मन में है। आप (सरकार) अच्छा काम कर रहे हैं और इसके बावजूद, हमें यह विश्वास नहीं है कि आप आलोचना की सराहना करेंगे।

आपातकाल, समाजवाद, उदारीकरण और आर्थिक असमानता के परिवर्तन काल के इस दौर में राहुल बजाज ने अपनी सूझबूझ और दूरदर्शिता व मेहनत से बजाज ऑटो को शिखर तक पहुंचाया। देश में दुपहिया व तिपहिया वाहन बनाने के क्षेत्र में अहम जगह बनाई और इसकी बुलंदी दुनिया भर में गूंजी।

जिनिंग फैक्टरी से शुरू हुआ सफर
बजाज समूह की असल शुरुआत बछराज बजाज से होती है, जो वर्धा महाराष्ट्र के साहूकार थे। उन्होंने 1905 में वर्धा में कॉटन जिनिंग फैक्टरी शुरू की। राजस्थान के सीकर में कनीराम के तीसरे बेटे जमनालाल को बछराज ने गोद लिया था। 1915 में 17 वर्ष उम्र में दादा बछराज की विरासत जमनालाल बजाज को मिली। जमनालाल ने बजाज समूह को असल विस्तार दिया। उन्होंने सूत से लेकर स्टील तक तमाम क्षेत्रों में समूह की उपस्थिति दर्ज कराई।

उनके बेटे कमलनयन बजाज ने 1954 में विरासत अपने हाथों में ली और बजाज समूह के ताज का हीरा कही जाने वाले बजाज ऑटो कंपनी स्थापित की थी। इसके बाद बजाज समूह की कमान 1965 में राहुल के हाथों में आई। समूह की फिलहाल 40 से ज्यादा कंपनियां हैं।

समझदारी से बांटी विरासत 
2000 के दशक की शुरुआत में उन्होंने अपनी व्यावसायिक विरासत को बेटे राजीव और संजीव के बीच बांट दिया। जहां राजीव ने बजाज ऑटो का कार्यभार संभाला, वहीं संजीव ने बजाज फिनसर्व को शीर्ष पर पहुंचाया। तीन साल पहले उन्होंने अपने चचेरे भाई शेखर, मधुर और नीरज के साथ एक पारिवारिक समझौते पर हस्ताक्षर करने के लिए पूरे परिवार को एक किया और समूह के संयुक्त स्वामित्व के साथ-साथ भविष्य के किसी भी विवाद को निपटाने की प्रक्रिया के लिए एक तंत्र स्थापित किया।

दादा ने धन से ज्यादा देशप्रेम का जज्बा दिया
स्वतंत्रता सेनानी जमनालाल बजाज ने 1926 में बजाज समूह की स्थापना की थी और पोते राहुल को उन्होंने धन से ज्यादा देशप्रेम को सीख दी थी। 1968 में पिता कमलनयन से उन्हें स्कूटर, सीमेंट और बिजली के उपकरणों जमनालाल का एक छोटा व्यवसाय विरासत में मिला, जिसे उन्होंने बुलंदियों पर पहुंचाया। चाहे बल्ब  हो या स्कूटर, बजाज का कोई न कोई उत्पाद एक समय देश के हर घर में मिलता था।

हमारा बजाज पर आज भी हर नागरिक को नाज 
1970 से 80 के दशक में जब सड़कें और सार्वजनिक परिवहन दोनों लगभग न के बराबर थे, उस दौर में भारत के आम लोगों को बजाज ने चेतक स्कूटर दिया। हमारा बजाज टैगलाइन से बेचे जाने वाले ये स्कूटर सहज ही उस दौर में लोगों को गौरव, आत्मसम्मान और आत्मनिर्भरता का अहसास देते थे।

हर दूसरा दोपहिया बजाज का
1991 तक देश में बिकने वाला हर दूसरा दोपहिया वाहन बजाज का था। बजाज दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी स्कूटर निर्माता कंपनी बनी और उस समय देश को चौथी बड़ी निजी कंपनी थी।

फिर हासिल किया मुकाम
1991 के बाद उदारीकरण के कारण बजाज को अन्य कंपनियों से दोपहिया वाहन क्षेत्र में कड़ी चुनौती मिली। स्कूटर दौड़ से बाहर हो गए, लेकिन बड़े ही रोचक अंदाज से बजाज ने तब खुद को एक मोटरसाइकिल निर्माता के रूप में फिर में स्थापित किया।

इंदिरा से कहा था- जरूरत का सामान बनाने के लिए जेल जाना पड़ा, तो जाऊंगा 
1972 में पिता के निधन के बाद राहुल ने बजाज ऑटो का काम संभाला। इस दशक में कंपनी ने बजाज सुपर और चेतक जैसे मॉडल बाजार में उतारकर सफलता पाई। इतालवी कंपनी पियाजियो के लाइसेंस पर स्कूटर बनते थे, लेकिन कंपनी ने लाइसेंस को रीन्यू करने से इनकार कर दिया था।  ऐसे में राहुल ने भारतीय स्कूटर बनाने का निर्णय लिया। तब इंदिरा सरकार के लाइसेंस राज और प्रतिबंधों की वजह से उत्पदन सीमित था। लोगों को महीनों तक डिलीवरी के लिए इंतजार करना पड़ता था। इससे आजिज आकर उन्होंने सरकार की आलोचना की और कहा कि लोगों की जरूरत का सामान बनाने से रोकने के लिए सरकार अगर उन्हें जेल में डालती है तो वे इसके लिए तैयार हैं। इसके बाद उनकी कंपनी पर छापे भी पड़े।

कारोबार के साथ सामाजिक सरोकार को समर्पित था जीवन
श्री राहुल बजाज जी को वाणिज्य व उद्योग के क्षेत्र में उनके उल्लेखनीय योगदान के लिए सदैव याद किया जाएगा। कारोबार के अलावा वह सामुदायिक सेवा के लिए तत्पर रहते थे। सामाजिक सरोकार के लिए उनकी जीवन समर्पित था। उनके निधन की खबर सुन व्यथित हूं। ओम शांति! – नरेंद्र मोदी, प्रधानमंत्री

भारतीय उद्योग के प्रमुख हस्ताक्षर, देश के कॉरपोरेट सेक्टर को दी मजबूती
‘श्री राहुल बजाज के निधन से दुखी हूं। भारतीय उद्योग के प्रमुख हस्ताक्षर और सदैव अपनी प्राथमिकताओं के लिए तत्पर रहने वाले राहुल बजाज ने देश के कारपोरेट सेक्टर को मजबूती प्रदान की। उनका जाना विश्व उद्योग में एक खाली जगह छोड़ता है जिसकी पूर्ति कभी नहीं हो सकती।’ – रामनाथ कोविंद, राष्ट्रपति

बजाज को लोकप्रिय बनाया
राहुल बजाज ने अपनी कड़ी मेहनत और दूरदर्शिता से बजाज ब्रांड को घर घर तक पहुंचाया और इसे देश दुनिया में लोकप्रिय बना दिया। बजाज परिवार का आजादी की लड़ाई में योगदान तो था ही, राहुल बजाज आजादी के बाद औद्योगिक और सामाजिक बदलाव के चेहरा बने। – बीएस कोश्यारी, राज्यपाल महाराष्ट्र

आनंद महिंद्रा, चेयरमैन महिंद्रा समूह
आपके कंधे पर चढ़कर कारोबार जगत की बुलंदियों को छुआ। मुझे यूं आगे बढ़ाने, सुझाव देने और डटकर प्रगति की राह में बढ़ने को प्रेरित करने के लिए राहुल भाई आपका शुक्रिया। भारतीय उद्योग जगत में आपके पदचिह्न कभी धूमिल नहीं होंगे।

किरण मजूमदार शॉ
देश ने आज एक बेटा और राष्ट्र निर्माता खो दिया। राहुल बजाज मेरे बहुत ही खास दोस्त थे। उनके निधन की खबर से स्तब्ध हूं।

वेणु श्रीनिवासन, चेयरमैन टीवीएस मोटर कंपनी 
भारत के ऑटो उद्योग को बुलंदियों पर पहुंचाने वाला सितार हमेशा के लिए अनंत में विलीन हो गया। गुणवत्ता और प्रौद्योगिकी की परंपरा शुरू करने वाले राहुल बजाज सदैव ईमानदारी के पक्ष में रहे और अपने सिद्धांतों पर अटल रहे। आप हमेशा याद आएंगे।

गौतम हरि सिंहानिया, चेयरमैन रेमंड
भारतीय कारोबार जगत के अगुआ, एक शानदार और बेबाक व्यक्तित्व वाले राहुल बजाज हमेशा हमारी यादों में रहेंगे। देश ने आज एक सितारा खो दिया। ऑटो उद्योग में लाइसेंस राज के दौर को उन्होंने जिस बुद्धिमत्ता से खत्म किया यह उनकी खासियत है। उन्होंने न सिर्फ महाराष्ट्र बल्कि पूरे देश को आगे बढ़ाने में उल्लेखनीय योगदान दिया।

हर्ष गोयनका, चेरयमैन आरपीजी समूह
भारतीय कारोबार जगत की रीढ़ की हड्डी टूट गई। हमारे करीबी मित्र, एक दूरदर्शी, मुखर और अपने विचारों व सिद्धांतों के लिए सम्मानीय व्यक्ति थे। उनके जाने से आज एक युग का अंत हो गया। वह आने वाली पीढ़ियों के लिए प्रेरणा रहेंगे।

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