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जो शिक्षा, कृषि नीति में हुआ वही दूरसंचार नीति में भी होगा!

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देश की शिक्षा नीति और कृषि सुधार जिस दिशा में गए हैं अब देश की दूरसंचार नीति भी उसी दिशा में जाती दिख रही है। नई शिक्षा नीति जिस समय जारी की गई उस समय दबी जबान से ही सही, ऐसे बहुत से सुर उठे थे कि इसे बनाने में सभी हितधारकों यानी स्टेकहोल्डर्स की राय नहीं ली गई।

स्पेक्ट्रम नीति तय करने के लिए स्टेकहोल्डर्स के साथ निर्णायक विमर्श यानी की-कंसल्टेशन की जो प्रक्रिया 6 जनवरी से शुरू हुई है, उसमें गूगल, फेसबुक, इंटेल, क्वालकॉम जैसी टेक कंपनियों को बुलाया गया है। लेकिन एयरटेल, रिलायंस जियो और वोडाफ़ोन, आईडिया जैसी दूरसंचार कंपनियों को आमंत्रित नहीं किया गया।

 

इसके लिए सरकार ने यह तर्क दिया है कि उन्हें अलग-अलग कंपनियों को आमंत्रित करने की ज़रूरत नहीं है, क्योंकि उनके प्रतिनिधि संगठन सेल्यूलर ऑपरेटर ऐसोसिएशन ऑफ़ इंडिया यानी सीओएआई को इसमें आमंत्रित किया गया है।

कृषि सुधारों के नाम पर बने तीन क़ानूनों में भी यही बात सामने आई। नतीजा यह है कि लगभग डेढ़ महीने से किसान संगठन दिल्ली को घेरे बैठे हैं। और अब जब अगले 10 साल के लिए देश की स्पेक्ट्रम नीति तय हो रही है, दूरसंचार सेवाएं देने वाली कंपनियाँ नाराज़ हैं कि उनकी राय नहीं ली जा रही है।

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