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खाली हो रहा सिंघु बॉर्डर…जानिए साल भर में किन पड़ावों से गुजरा किसान आंदोलन

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सिंघु बॉर्डर खाली होने लगा है। किसान अपने घरों को वापस लौटने लगे हैं। केंद्र सरकार से औपचारिक पत्र मिलने के बाद किसानों ने आंदोलन खत्म करने का ऐलान कर दिया है। इसके साथ ही करीब एक साल से चले आ रहे किसान आंदोलन का सफल पटाक्षेप हो गया। आइए सिलसिलेवार ढंग से जानते हैं कि किसान आंदोलन में कब-कब क्या हुआ। कब इसमें अहम मोड़ आए और कहां से इसने सफलता का रुख अख्तियार किया…

26 नवंबर, 2020
यही वह तारीख थी जब किसानों ने कृषि कानूनों के विरोध में आंदोलन शुरू किया। हालांकि इसकी भूमिका काफी पहले से बननी शुरू हो गई थी। 4 सितंबर को सरकार ने संसद में किसान कानूनों संबंधी ऑर्डिनेंस पेश किया। 17 सितंबर को यह ऑर्डिनेंस लोकसभा में पास हो गया। इसके बाद 20 सितंबर को राज्यसभा में भी इसे ध्वनिमत से पारित कर दिया। इसके बाद ही देशभर में किसान मुखर होने लगे। 24 सितंबर को पंजाब में तीन दिन के लिए रेल रोको आंदोलन शुरू हुआ। वहीं 25 सितंबर को ऑल इंडिया किसान संघर्ष कोऑर्डिनेशन कमेटी की पुकार देशभर के किसान दिल्ली के लिए निकल पड़े। उसी साल 25 नवंबर को देशभर में नए किसान कानूनों का विरोध शुरू हो गया। पंजाब और हरियणा में दिल्ली चलो मूवमेंट का नारा दिया गया।
Farmers will vacate one side of NH on Singhu border | सिंघु बॉर्डर पर हाईवे  की एक साइड खाली करेंगे, सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद हटने को तैयार हुए -  Dainik Bhaskar

28 नवंबर, 2020
इस तारीख को देश के गृहमंत्री अमित शाह ने किसानों के साथ बातचीत करने का ऑफर दिया। हालांकि किसानों ने उनकी बात मानने से इंकार कर दिया और जंतर-मंतर पर विरोध प्रदर्शन की बात कही। 29 नवंबर को मन की बात कार्यक्रम में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहाकि सभी राजनीतिक दलों ने किसानों से वादा किया था, लेकिन केवल उनकी सरकार ने वादा पूरा किया।

03 दिसंबर, 2020
तीन दिसंबर को सरकार और किसानों के बीच पहले दौर की बातचीत हुई। हालांकि इस बातचीत के दौरान किसी तरह का कोई परिणाम नहीं निकल सका। इसके बाद पांच दिसंबर को केंद्र सरकार की किसानों के साथ दूसरे दौर की बातचीत हुई। इसमें भी किसी तरह का कोई निष्कर्ष नहीं निकल सका। यहां तक कि किसानों ने बातचीत के दौरान सरकार की तरफ से दिया गया खाना भी नहीं खाया और खुद से लाया खाया जमीन पर बैठकर खाया।

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