घरों में पानी भर जाने से खाना बनाने की समस्या होने लगी है. ऊंचे स्थान पर चूल्हा रखकर किसी तरह खाना बना रहे हैं. पानी कम होने का नाम नहीं ले रहा है. इससे कई तरह की समस्याएं खड़ी होने लगी हैं.
बाढ़ पीड़ितों का कहना है कि रास्तों पर पानी का तेज बहाव है. पैदल आना-जाना जोखिम भरा होने से वो नाव का सहारा ले रहे हैं. कई गांव टापू बन गए हैं. प्रशासन की ओर से दवा और लंच पैकेट का भी वितरण नहीं किया गया है.
हालांकि बाढ़ के हालात को देखते हुए डीएम अनुनय झा और एसपी सोमेंद्र मीणा ने एडीआरएफ की स्टीमर से बाढ़ क्षेत्रों का निरीक्षण किया. साथ ही शिकारपुर गांव में लोगों के बीच राहत सामग्री बाटें. डीएम ने बताया कि बाढ़ग्रस्त इलाकों की समस्याओं को त्वरित हल करने के निर्देश दिए गए हैं. बाढ़ का पानी धीरे-धीरे नीचे उतर रहा है. अगले 24 घंटों में स्थिति सामान्य होने की उम्मीद है.
नेपाल की पहाड़ियों से निकलने वाली नारायणी नदी यूं तो हर साल बाढ़ के दिनों में उफनाती है और नदी से सटे क्षेत्रों को डुबो कर लौट जाती है, लेकिन इस बार नारायणी नदी उग्र रूप लेकर भयावह हो गई है. नदी के लगातार घटते-बढ़ते जलस्तर से तबाही के स्वर फूट रहे हैं. नारायणी नदी की तीव्र धाराओं को नियंत्रित करने वाले अंतरराष्ट्रीय तटबंध के संवेदनशील बी गैप बांध के ठोकर संख्या 12 और 13 पर अभी भी भारी दबाव बना हुआ है. हालांकि संबंधित विभाग के अभियंता लगातार तटबंधों की निगरानी में जुटे हुए हैं.
नारायणी नदी ने इतना भयावह रूप करीब 21 साल बाद लिया है. 31 जुलाई 2003 को नारायणी का जलस्तर रिकार्ड 6 लाख 39 हजार 750 क्यूसेक तक पहुंचा था. इसके बाद नदी हर साल बरसात में उफनाती है और जलस्तर भी बढता है, लेकिन बीते शुक्रवार देर रात से ही पहाड़ों और मैदानी इलाकों में लगातार बारिश से नदी के बढ़ते जलस्तर को देख अधिकारियों की बेचैनी बढ़ने लगी थी. उसके बाद जलस्तर रिकार्ड 5 लाख 64 हजार 400 क्यूसेक पहुंच गया. जिसके चलते अंतरराष्ट्रीय बी गैप बांध के संवेदनशीलता बी गैप के ठोकर संख्या 12, 12 ए व 13 पर नदी का दबाव बढ़ने लगा है, जिसे देख सिंचाई विभाग के अभियंताओं के माथे पर चिंता की लकीरें झलकने लगी हैं.
आपदा प्रबंधन विभाग के अनुसार, गंडक, कोसी, बागमती, महानंदा और अन्य नदियों के जलस्तर में हुई वृद्धि के कारण 16 जिलों पूर्वी चंपारण, पश्चिमी चंपारण, अररिया, किशनगंज, गोपालगंज, शिवहर, सीतामढ़ी, सुपौल, सिवान, मधेपुरा, मुजफ्फरपुर, पूर्णिया, मधुबनी, दरभंगा, सारण एवं सहरसा के 31 प्रखंडों में 152 ग्राम पंचायतों के अंतर्गत लगभग 4 लाख से अधिक की आबादी बाढ़ से प्रभावित हुई है.
बाढ़ से प्रभावित आबादी को सुरक्षित निकालने के लिए एनडीआरएफ की कुल 12 टीम और एसडीआरएफ की कुल 12 टीमों को तैनात किया गया है. इसके अतिरिक्त वाराणसी से एनडीआरएफ की तीन टीमों को भी बुलाया गया है.