भाजपा के लिए काम कर रहे संत, ममता बनर्जी ने रामकृष्ण मिशन पर भी उठाए सवाल
1 min readलोकसभा चुनाव के पांचवें चरण के लिए चुनाव प्रचार थम गया है। इससे पहले ममता बनर्जी ने आरोप लगाया कि कुछ भिक्षु या मिशन से जुड़े लोग भी बीजेपी की मदद करने में लगे हुए हैं और उन्हें दिल्ली से ऑर्डर मिल रहा है। उन्होंने कहा कि भारत सेवाश्रम संघ और रामकृष्ण मिशन के लोग सीधे तौर पर टीएमसी के खिलाफ काम कर रहे हैं। हुगली के जयरांबाती में एक रैली के दौरान ममता बनर्जी ने बीएसएस के कार्तिक महाराज (स्वामी प्रदीप्तानंद) पर आरोप लगाया कि उन्होंने कहा है कि वह टीएमसी एजेंट्स को बूथ में जाने ही नहीं देंगे।
उन्होंने रामकृष्ण मिशन के भी सदस्य के बारे में कहा कि उन्हें दिल्ली से निर्देश मिलते हैं। ममता बनर्जी ने कहा कि वह कार्तिक महाराज को संत नहीं मानती हैं क्योंकि वह सीधे तौर पर राजनीति में शामिल हो गए हैं। ममता बनर्जी ने कहा, मैं भारत सेवाश्रम संघ का बहुत सम्मान करती थी। लंबे समय से सम्मानित संगठनों की लिस्ट में इसका नाम था।
बता दें कि स्वामी प्रदीप्तानंद की अध्यक्षता वाली एक लाख कोंथे गीता पाठ कमेटी ने पिछले साल दिसंबर में 1 लाख लोगों द्वारा गीता पाठ का आयोजन किया था। राम मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा के लिए यह आयोजन किया गया था। उन्हें भाजपा नेताओं के करीबी के तौर पर जाना जाता है। वहीं टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के मुताबिक कार्तिक महाराज ने कहा कि उन्हें कुछ पता ही नहीं है कि मुख्यमंत्री ने कहा। उन्होंने कहा, चुनाव के दिन मैं सीधा बूथ पर गया और वोट डालकर आश्रम वापस आ गया। हां, टीएमसी विधायक हुमायूं कबीर के खिलाफ हमने बयान जरूर दिए हैं। वह इसलिए क्योंकि वह सांप्रदायिक बातें करता था। वह प्रधानमंत्री मोदी पर भी आपत्तिजनक टिप्पणी कर चुके हैं।
ममता बनर्जी ने रामकृष्ण मिशन के बारे में भी कहा कि उन्हें दिल्ली से आदेश मिलते हैं। उन्होंने कहा, संतों से कहा जाता है कि वे भाजपा के लिए वोट मांगें। आखिर एक संत यह सब क्यों करे। सभी लोग रामकृष्ण मिशन का सम्मान करते हैं। मुझे पता है कि रामकृष्ण मिशन कभी वोट नहीं करता है तो फिर यह दूसरों से वोट की अपील क्यों करे।
TOI की रिपोर्ट के मुताबिक रामकृष्ण मिशन के एक सदस्य ने कहा कि वे हमेशा राजनीति से दूर रहना चाहते हैं और इसीलिए वे लोग वोट करने भी नहीं जाते हैं। किसी भी संत या फिर संगठन का राजनीति से कोई लेनादेना नहीं है। उन्होंने कहा, हम राजनीतिक दलों की मदद पर निर्भर नहीं हैं। हो सकता है कि कोई शख्स सामान्य शिष्य हो और यहां का संत ना हो या सीधे तौर पर ना जुड़ा हो। वह राजनीतिक अपील कर सकता है। ममता बनर्जी ने कहा, मैंने रामकृष्ण मिशन की उस समय मदद की जब सीपीएम ने फूड सप्लाई रोक दी थी और अधिकारों पर रोक लगा दी गई थी। मैंने 700 एकड़ की जमीन इस्कोन को दी।
ममता ने कहा, अगर मैं ना होती तो आज स्वामी विवेकानंद का घर ना बचा होता।