नेताजी की बेटी : ज़्यादा धर्मनिरपेक्ष भारत चाहते थे सुभाष
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ऐसे समय जब पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव नज़दीक आ चुका है और बीजेपी बंगाली अस्मिता के सबसे बड़े प्रतीकों में एक नेताजी
‘धर्मनिरपेक्ष भारत चाहते थे नेताजी’
बता दें कि नेताजी ने वेश बदल कर जर्मनी जाने के बाद वहां जर्मन महिला एमिली शेंकल से विवाह किया था, अनीता पैफ़ उनकी बेटी हैं। अनीता अर्थशास्त्री हैं और जर्मनी में ही बसी हुई है।
अनीता पैफ़ ने ‘एनडीटीवी’ से बातचीत में इसे ज़्यादा साफ तौर पर बताया। उन्होंने कहा,
की विरासत को हथियाने की कोशिश में है, सुभाष चंद्र बोस की बेटी अनीता पैफ़ ने कहा है कि वे धर्मनरिपेक्ष भारत चाहते थे।
सुभाष बाबू की बेटी ने जर्मनी के म्युनिख़ शहर से जारी एक वीडियो मैसेज में कहा है,
बीजेपी ने जिस तरह नेताजी की विरासत को हथियाने की लंबी योजना बनाई है, उसके मद्देनज़र यह बयान महत्वपूर्ण इसलिए है कि इससे साफ है कि नेताजी बीजेपी के उग्र हिन्दुत्व के समर्थक नहीं थे। नेताजी सभी धर्मों का सम्मान करते थे, पर बीजेपी ऐसा नहीं चाहती है।
बीजेपी उस सांस्कृतिक राष्ट्रवाद में यकीन करती है जिसके तहत जिन लोगों की पुण्यभूमि (तीर्थ स्थल) भारत के बाहर हैं, वे सच्चे भारतीय नहीं है। यानी मुसलमान और ईसाई सच्चे भारतीय नहीं है, जिनकी पुण्यभूमि भारत के बाहर है।
जहां नेताजी खुले आम हिन्दू-मुसलमान एकीकरण पर ज़ोर देते हैं, कहते हैं कि मुसलमान देश की आज़ादी के लिए लड़ रहे हैं, वहीं आरएसएस सांस्कृतिक राष्ट्रवाद की बात करता है और कहता है कि जिनकी पुण्यभूमि भारत नहीं है, वे सच्चे भारतीय नहीं हैं। यानी मुसलमान और ईसाई सच्चे भारतीय नहीं हैं।
नेताजी की विचारधार कहीं भी सांप्रदायिक नहीं थी, उसमें हिन्दुओं को तरजीह देने या सर्वश्रेष्ठ मानने की कोई बात नहीं थी। लेकिन उन्हें अपना बताने की कोशिश वे लोग कर रहे हैं जो उग्र हिन्दुत्व की राजनीति करते हैं।
नेताजी आज भी पश्चिम बंगाल के आइकॉन हैं। ऐसे में पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव के ठीक पहले बीजेपी उन्हें अपना बता रही है, उनके जन्म दिन को पराक्रम दिवस मना रही है तो ताज्जुब की कोई बात नहीं है।