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9 अक्टूबर को होगी शरद कोजागरी लक्ष्मी पूजा

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लखनऊ। शरद कोजागरी पूजा भारतीय राज्य जैसे उड़ीसा, पश्चिम बंगाल और असम में अश्विन पूर्णिमा के दौरान देवी लक्ष्मी को समर्पित है। लक्ष्मी पूजा का यह दिन कोजागरी पूर्णिमा या बंगला लक्ष्मी पूजा के रूप में भी जाना जाता है। हालांकि भारत में अधिकांश लोग दिवाली के दिन ही देवी लक्ष्मी की पूजा करते हैं। बंगाली समुदाय से आने वाली निवेदिता घोष बताती हैं कि कोजागरी का अर्थ है कौन -कौन जाग रहा है ऐसी मान्यता है कि इस दिन मां लक्ष्मी अपने प्रिय वाहन उल्लू पर सवार होकर संध्या से रात्रि तक अपने भक्तों के घर जाती है तथा इस दिन दीपदान करने का अधिक महत्त्व बताया गया है शरद कोजागरी के दिन दीपदान करने से शुभ फल की प्राप्ति होती है कोजागरी पूजा के कारण इस त्यौहार को कोजागरी पूर्णिमा भी कहा जाता है। यह पूर्णिमा उत्तर भारत में शरद पूर्णिमा के नाम से प्रसिद्ध है। हिंदू धर्म के अनुसार इस रात लक्ष्मी माता यह देखने के लिए घूमती हैं कि कौन रात्रि जागरण कर रहा है। रात्रि जागरण करने वाले व्यक्ति का महालक्ष्मी कल्याण करती हैं। इस दिन मां लक्ष्मी को चावल की खीर का भोग लगाया जाता है और ऐसी मान्यता की खीर को रात भर चंद्रमा के नीचे रखने से और उस खीर को यदि सुबह के समय खाया जाए तो चंद्रमा के समान शीतलता हमें प्राप्त होती है तथा नेत्र ज्योति भी बढ़ती है इस दिन मां लक्ष्मी के साथ-साथ भगवान विष्णु की भी पूजा की जाती है तथा सत्यनारायण की कथा सुनी जाती है पंडाल में जब दुर्गा पूजा का आयोजन किया जाता है वहीं पर लक्ष्मी जी को स्थापित कर उनकी विधिवत पूजा की जाती है दुर्गा पूजा के विसर्जन में माँ दुर्गा को अपराजिता की बेल के चढ़ाई जाती है क्योंकि उसी समय मां लक्ष्मी का आह्वान किया जाता है तथा लक्ष्मी जी की धान से पूजा की जाती है नए धान का उपभोग किया जाता है कोजागरी पूर्णिमा की रात को दीपावली से भी ज्यादा खास माना जाता है क्योंकि इस रात स्वयं मां लक्ष्मी अपने भक्तों को संपत्ति देने के लिए आती हैं। कहा जाता है कि अगर इस रात आपको धन का खजाना पाना है तो देवी लक्ष्मी की पूजा अवश्य करनी चाहिए।

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