Prakash veg

Latest news uttar pradesh

पेट्रोल- डीज़ल की कीमतों में कितना टैक्स चुकाते हैं आप?

1 min read

अंतरराष्ट्रीय बाज़ार में कच्चे तेल की कीमत भले ही कम हो, भारत में डीज़ल-पेट्रोल की कीमतें लगातार बढ़ती जा रही हैं। क्या इसकी बड़ी वजह यह है कि केंद्र व राज्य सरकार इस पर टैक्स बढ़ाती रहती हैं और अपने घाटे की भरपाई इससे ही करती है?

 

शनिवार को पेट्रोल की कीमत दिल्ली में 87.50 रुपए और मुंबई में 92.28 रुपए थी। इस दिन डीज़ल की कीमत दिल्ली में 75.88 रुपए और मुंबई में 82.66 रुपए है।

 

कांग्रेस सांसद राहुल गांधी ने इस पर तंज करते हुए कहा कि नरेंद्र मोदी सरकार में जीडीपी यानी गैस-डीज़ल-पेट्रोल की कीमतें लगातार बढ़ रही हैं।

सच क्या है?

 

अंतरराष्ट्रीय बाज़ार में शनिवार को कच्चे तेल की कीमत प्रति बैरल 52.48 डॉलर थी। एक बैरल तेल लगभग 42 गैलन या 159 लीटर होता है।

 

शनिवार को डॉलर की कीमत 73 रुपए थी, यानी एक बैरल कच्चे तेल की कीमत अंतरराष्ट्रीय बाज़ार में 3831.04 रुपए थी। इस हिसाब से एक लीटर कच्चे तेल की कीमत शनिवार को 24.094 रुपए बैठती है।

 

इसे बेहतर तरीके से समझने के लिए कीमत के ब्रेक अप को समझा जा सकता है। कच्चे तेल को साफ करने पर लगभग 3.84 रुपए खर्च होता है और इस तरह तेल की कीमत 28.75 पैसे बैठती है।

कच्चा तेल सस्ता, पेट्रोल महंगा

यह दर दिल्ली की है। अलग-अलग राज्यों में वैट अलग-अलग होता है।

 

इस तरह यह साफ हो जाता है कि कच्चे तेल की कीमत, रिफाइनरी चार्ज, परिवहन और कमीशन का जो खर्च बैठता है, उससे ज़्यादा इस पर टैक्स देना होता है।

 

यानी दिल्ली शहर में शनिवार को पेट्रोल की कीमत 87.50 रुपए थी, उसमें सबसे ज्यादा 52.30 रुपए टैक्स था।

 

यह अजीब विरोधाभाष है कि भारत में पेट्रोल और डीजल की क़ीमतें ऐसे समय में रिकॉर्ड ऊँचाई पर है, जब अंतरराष्ट्रीय बाज़ार में कच्चे तेल की कीमतें कम हैं। बीजेपी के सत्ता में आने के एक साल पहले यानी 2012-13 में कच्चे तेल की कीमत जहां 110 डॉलर प्रति बैरल तक पहुँच गई थी, वह उनके सत्ता में आने के बाद ही गिरने लगी और कोरोना काल में वह 25 डॉलर प्रति बैरल तक पहुँच गई।

0Shares

Leave a Reply

Your email address will not be published.

https://slotbet.online/